गोरखपुर:आज 25 जून है. देश में यह तारीख आपातकाल या इमरजेंसी डे के रूप में जानी जाती है. देश की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के दौर में यह लागू हुई थी. इसका विरोध करने वाले लोग तरह-तरह की यातनाओं का शिकार हुए. लंबी जेल यात्रा काटी और जेल से बाहर निकलने के बाद इंदिरा गांधी और उनकी सरकार के खिलाफ मुखर भी हुए. ऐसे ही लोगों में से एक हैं गोरखपुर शहर विधानसभा क्षेत्र से 5 बार के विधायक शिव प्रताप शुक्ला जो कल्याण सिंह, राजनाथ सिंह की सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे.
शिव प्रताप शुक्ला महज 22 वर्ष की उम्र में ही आंदोलन को धार देने के दौरान गिरफ्तार हुए थे. गोरखपुर से हुई उनकी गिरफ्तारी इमरजेंसी काल के दौरान होने वाली गिरफ्तारी प्रदेश की पहली गिरफ्तारी थी. इसमें उनके ऊपर इंदिरा गांधी की हत्या करने की साजिश का आरोप लगा था. ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान शिव प्रताप शुक्ला ने अपने इमरजेंसी काल के संघर्ष को साझा किया और कहा कि इस दौरान न्यायपालिका भी स्वतंत्र नहीं रह गई थी, क्योंकि जो लोग गिरफ्तार हुए थे उन्हें न्यायालय से जल्द रिहाई नहीं मिल रही थी. यही वजह थी कि लोगों को जेल में लंबा समय बिताना पड़ा.
उन्होंने कहा कि कई लोगों को बिजली के तार काटने के झूठे जुर्म में गिरफ्तार किया गया था. इमरजेंसी एक धोखा थी, जिसे लगाने की सोच बंगाल के तत्कालीन मुख्यमंत्री सिद्धार्थ शंकर रे ने पूरी की थी. उन्हीं का तैयार किया हुआ ड्राफ्ट इंदिरा गांधी ने पूरे देश में लागू किया था. उन्होंने कहा कि उस समय 14 वर्ष की उम्र के बालक रहे शहर के चिरंजीवी चौरसिया को भी पुलिस ने गिरफ्तार किया और चौरसिया को कड़ी यातनाएं भी दी गईं, जिसे देखकर उनका मन दुखी हो उठा था. शिव प्रताप शुक्ला ने कहा कि इमरजेंसी के दौरान उनके बड़े भाई शहर के प्रतिष्ठित अधिवक्ता थे, जिन्होंने उनकी जमानत कराने का प्रयास किया. लेकिन, शिव प्रताप शुक्ला ने अपनी जमानत कराने से इनकार कर दिया. उन्होंने अपने साथियों के साथ मिलकर जेल के अंदर ही अपनी आवाज उठाई. इसके कारण साथियों सहित उन्हें भी पुलिस की लाठियां खानी पड़ीं.