गोरखपुर: होली में जहां रंग-बिरंगे रंगों के साथ पिचकारिओं का महत्व होता है, वहीं होली खेलने के बाद लोग स्वादिष्ट भोजन का भी आनंद बड़े ही चाव के साथ लेते हैं. ऐसे में लोगों को ध्यान में रखते हुए पोल्ट्री उद्योग होली को लेकर पूरे साल तैयारी में लगा रहता है. लोग भी सस्ता और पौष्टिक होने की वजह से चिकन को बड़े ही चाव के साथ खाते हैं, लेकिन इस होली में पोल्ट्री उद्योग पूरी तरह बर्बाद हो गया है. चाहे वह एग फार्मिंग हो, चिक्स फार्मिंग हो या फिर चिकन फार्मिंग.
सोशल मीडिया पर चिकन खाने और चिकन में कोरोना वायरस पाए जाने जैसे दुष्प्रचार की वजह से कई करोड़ का उद्योग बुरी तरह प्रभावित हुआ है. होली में चिकन 150 से 200 रुपये प्रति किलो बिकता था. आज सैकड़ा तो दूर दहाई के अंक के करीब आ गया है. इस समय 59 रुपये प्रति किलो चिकन बाजारों में बिक रहा है. ऐसे में लगातार मुर्गे के दाम में गिरावट आ रही है, जिससे पोल्ट्री व्यवसायियों की कमर टूट गई है.
पोल्ट्री उद्योग को हो रहा भारी नुकसान
पूर्वांचल में सैकड़ों करोड़ रुपये का पोल्ट्री उद्योग पिछले एक माह में बुरी तरह प्रभावित हुआ है. गोरखपुर की बात करें तो प्रतिदिन दो से तीन करोड़ रुपये का व्यापार पोल्ट्री उद्योग के व्यापारी करते थे, लेकिन अभी यह व्यापार सिमटकर लाखों में रह गया है. वहीं इस उद्योग ने हजारों की संख्या में लोगों को रोजगार भी दिया था. ऐसे में इस उद्योग से जुड़े हुए कामगारों के रोजी-रोटी पर संकट देखने को मिल रहा है. लगातार कोरोना का भय इस व्यापार को अपनी आगोश में लेता जा रहा है.
सरकार ने की अपील मगर नहीं हुआ लोगों पर असर
आम लोगों को जागरूक करने के लिए व्यापारियों ने फ्री में चिकन खिलाकर उन्हें जागरूक करने का भी काम किया था, लेकिन उनका यह प्रयास विफल साबित हुआ. व्यापारियों को उम्मीद थी कि होली में मुर्गे के मीट का रेट बढ़ेगा, लेकिन लगातार कम होते रेट में व्यापारियों के माथे पर पसीना ला दिया है. वहीं केंद्र सरकार ने इस उद्योग को थोड़ी राहत देने की कोशिश जरूर की है. उसने एडवाइजरी जारी की है कि चिकन में किसी प्रकार का कोई वायरस नहीं है और इसके खाने से शरीर को प्रचुर मात्रा में प्रोटीन की प्राप्ति होती है, लेकिन प्रदेश सरकार की लगातार उदासीनता से व्यापारी काफी चिंतित हैं.