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सरकारी महकमें में हो रही धांधली रोकने के लिए DM ने गठित की थी टीम, ट्रांसफर के बाद अधर में लटकी जांच

गोरखपुर के पूर्व डीएम विजय किरन आनंद की तैनाती के समय बड़ा भ्रष्टाचार हुआ था. पूर्व जिलाधिकारी किरन आनंद के सरकारी महकमें में हो रही धांधली की जांच के लिए एक जांच टीम बनाई थी, लेकिन किरन आनंद का तबादला होने के बाद जांच टीम सिथिल हो गई है.

गोरखपुर कलेक्ट्रेट कार्यालय
गोरखपुर कलेक्ट्रेट कार्यालय

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Published : Aug 25, 2022, 4:13 PM IST

गोरखपुर:जनपद के विभिन्न सरकारी कार्यालयों में गोरखपुर के पूर्व डीएम विजय किरन आनंद की तैनाती के समय बड़ा भ्रष्टाचार हुआ था. पूर्व जिलाधिकारी किरन आनंद के समय में रजिस्ट्री कार्यालय व RTO कार्यालय भी भ्रष्टाचार से अछूते नहीं रहे. पूर्व में हुई इस धांधली का सबसे बड़ा खेल रजिस्ट्री कार्यालय में हुआ है. जिले के रजिस्ट्री कार्यालय में जमीनों की खरीद-फरोख्त में निचले स्तर से लेकर ऊपर स्तर तक के सभी अधिकारियों का कमीशन फिक्स था. भ्रष्टाचार के इस खेल की जब तात्कालिक जिलाधिकारी किरन आनंद को शिकायत मिली, तो उन्होंने इसकी जांच के लिए एक कमेटी का गठन किया था.

जिलाधिकारी का तबादला होने से अधर में लटकी जांच
गोरखपुर के पूर्व जिलाधिकारी किरन आनंद ने धांधली की जांच के लिए तहसीलदार सदर के नेतृत्व में एक स्टिंग ऑपरेशन टीम का गठन किया था. इस टीम ने भ्रष्ट अधिकारियों को कमीशन लेते हुए रंगे हाथ पकड़ा था. यह मामला बीते 10 अप्रैल का है, इसके बाद डीएम के निर्देश पर तहसीलदार सदर की तहरीर पर इन भ्रष्टाचारी अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया. इस मामले में कई भ्रष्टाचारी जेल भी गए और कुछ फरार चल रहे हैं. इसी बीच मई माह में ही जिलाधिकारी किरन आनंद का तबादला हो गया. डीएम के तबादले के करीब 2 माह बाद बाद भी जांच टीम की कोई प्रगति नहीं है. खुद वादी इस मामले की पैरवी करने के लिए नहीं पहुंच रहे हैं, जबकि जांच अधिकारी इसके लिए लगातार वादी को बयान दर्ज कराने के लिए बुला रहे हैं.

भ्रष्टारियों की जांच कैंट सीओ कर रहे हैं, रजिस्ट्री कार्यालय में भ्रष्टाचार का मुकदमा शहर के कैंट और शाहपुर थाने में दर्ज कराया गया है. इस मामले में उपनिबंधक केके त्रिपाठी समेत 6 से ज्यादा आरोपी कर्मचारी फरार चल रहे हैं. पुलिस इनकी धरपकड़ के लिए छापेमारी कर रही है. इसी धोखाधड़ी के साथ जिले के आरटीओ कार्यालय में व्याप्त भ्रष्टाचार की पुष्टि भी स्टिंग ऑपरेशन के जरिए हुई थी. आरटीओ में हुई धांधली के आरोपियों को पर भी शिकंजा कसा जा रहा है.

सीओ कैंट श्याम बिन्द ने बताया कि तहसीलदार सदर रहे वीरेंद्र गुप्ता इस मामले में वादी हैं. केस दर्ज होने के बाद वीरेंद्र गुप्ता पुलिस का सहयोग नहीं कर रहे हैं. विवेचक ने उन्हें 4 बार चिट्ठी भेजकर बुलाया, लेकिन वह नहीं आए. इस बीच एक अन्य जमीन की धोखाधड़ी के मामले में वादी तहसीलदार को वीरेंद्र गुप्ता को राजस्व परिषद लखनऊ से अटैच कर दिया गया है. उनके खिलाफ खुद जांच सेटअप हो गई है. जबकि इस मामले में तहसीलदार सदर रहे वीरेंद्र गुप्ता कह चुके हैं कि उन्होंने जो बयान देना था वह पुलिस को दे चुके हैं. अब उनको नहीं पता कि पुलिस उनका कौन सा बयान चाहती है.

सबूतों और गवाहों के बीच में दोनों केस की विवेचना की रफ्तार धीमी पड़ गई है. जिस तरह से विवेचना इस मामले की चल रही है उसे देखते हुए अन्य आरोपितों को भी कभी भी क्लीनचिट मिल जाए इससे इनकार नहीं किया जा सकता. क्योंकि क्षेत्राधिकारी कैंट श्याम बिन्द ने अपने यहां दर्ज भ्रष्टाचार के मामले में गिरफ्तार आरोपियों पर 11 जुलाई को चार्जसीट दाखिल कर दिया है. वहीं जिनकी गिरफ्तारी नहीं हुई है, उनके खिलाफ उनकी विवेचना जारी है. रजिस्ट्री कार्यालय में हुए भ्रष्टाचार के मामले में उपनिबंधक केके तिवारी और कार्यालय से जुड़े प्राइवेट कर्मी विजय कुमार मिश्र, अशोक उपाध्याय, जितेंद्र जायसवाल, राजेश्वर सिंह के खिलाफ केस दर्ज करके एक आरोपित विजय कुमार मिश्र को गिरफ्तार कर लिया गया है, वहीं अन्य आरोपितों की तलाश अभी जारी है.

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