गोरखपुर:जनपद के विभिन्न सरकारी कार्यालयों में गोरखपुर के पूर्व डीएम विजय किरन आनंद की तैनाती के समय बड़ा भ्रष्टाचार हुआ था. पूर्व जिलाधिकारी किरन आनंद के समय में रजिस्ट्री कार्यालय व RTO कार्यालय भी भ्रष्टाचार से अछूते नहीं रहे. पूर्व में हुई इस धांधली का सबसे बड़ा खेल रजिस्ट्री कार्यालय में हुआ है. जिले के रजिस्ट्री कार्यालय में जमीनों की खरीद-फरोख्त में निचले स्तर से लेकर ऊपर स्तर तक के सभी अधिकारियों का कमीशन फिक्स था. भ्रष्टाचार के इस खेल की जब तात्कालिक जिलाधिकारी किरन आनंद को शिकायत मिली, तो उन्होंने इसकी जांच के लिए एक कमेटी का गठन किया था.
जिलाधिकारी का तबादला होने से अधर में लटकी जांच
गोरखपुर के पूर्व जिलाधिकारी किरन आनंद ने धांधली की जांच के लिए तहसीलदार सदर के नेतृत्व में एक स्टिंग ऑपरेशन टीम का गठन किया था. इस टीम ने भ्रष्ट अधिकारियों को कमीशन लेते हुए रंगे हाथ पकड़ा था. यह मामला बीते 10 अप्रैल का है, इसके बाद डीएम के निर्देश पर तहसीलदार सदर की तहरीर पर इन भ्रष्टाचारी अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया. इस मामले में कई भ्रष्टाचारी जेल भी गए और कुछ फरार चल रहे हैं. इसी बीच मई माह में ही जिलाधिकारी किरन आनंद का तबादला हो गया. डीएम के तबादले के करीब 2 माह बाद बाद भी जांच टीम की कोई प्रगति नहीं है. खुद वादी इस मामले की पैरवी करने के लिए नहीं पहुंच रहे हैं, जबकि जांच अधिकारी इसके लिए लगातार वादी को बयान दर्ज कराने के लिए बुला रहे हैं.
भ्रष्टारियों की जांच कैंट सीओ कर रहे हैं, रजिस्ट्री कार्यालय में भ्रष्टाचार का मुकदमा शहर के कैंट और शाहपुर थाने में दर्ज कराया गया है. इस मामले में उपनिबंधक केके त्रिपाठी समेत 6 से ज्यादा आरोपी कर्मचारी फरार चल रहे हैं. पुलिस इनकी धरपकड़ के लिए छापेमारी कर रही है. इसी धोखाधड़ी के साथ जिले के आरटीओ कार्यालय में व्याप्त भ्रष्टाचार की पुष्टि भी स्टिंग ऑपरेशन के जरिए हुई थी. आरटीओ में हुई धांधली के आरोपियों को पर भी शिकंजा कसा जा रहा है.