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गोरखपुर एम्स प्रंबधन से तनातनी को लेकर सड़क पर उतरे छात्र, जांच कमेटी इस दिन सुनाएगी फैसला - गोरखपुर एम्स प्रंबधन

गोरखपुर एम्स में एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहे छात्रों और प्रंबधन के बीच विवाद बढ़ गया है. छात्रों का आरोप है कि प्रबंधन पिछले 4 सालों से हीलाहवाली कर रही है. छात्रों का आरोप है कि किसी भी मांग पर प्रबंधन विचार नहीं कर रहा है.

dispute between MBBS students and Gorakhpur AIIMS
dispute between MBBS students and Gorakhpur AIIMS

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Published : Apr 4, 2023, 12:11 PM IST

Updated : Apr 4, 2023, 1:32 PM IST

सड़क पर उतरे गोरखपुर एम्स के एमबीबीएस छात्र

गोरखपुरः एम्स गोरखपुर में चिकित्सकीय सेवा के साथ-साथ एमबीबीएस की पढ़ाई भी होती है. लेकिन, संस्थान में इस समय छात्रों और प्रबंधन के बीच जमकर तनातनी चल रही है. दोनों के बीच तनाव और विवाद बड़ा मुद्दा बना हुआ है. छात्रों का गुट एम्स प्रबंधन की मनमानी के खिलाफ आंदोलित है. निदेशक से अपनी बात मनवाने के लिए छात्र सड़क पर उतर चुके हैं. वहीं, प्रबंधन उनकी मांगों पर विचार करने की जगह एक कमेटी का गठन कर दिया है, जो 10 अप्रैल को छात्रों की मांगों से संबंधित फैसले लेगी. फिलहाल गोरखपुर एम्स में पठन पाठन का माहौल पटरी से उतर चुका है.

वर्ष 2019 से एम्स में एमबीबीएस की पढ़ाई शुरू होने के बाद से यहां हर साल छात्रों की संख्या बढ़ती गई. यहां नर्सिंग समेत छात्रों की कुल संख्या 500 से ज्यादा है. लेकिन, पढ़ाई शुरू होने के साथ ही छात्र अपने कई मुद्दों और हितों की मांग को लेकर प्रशासन से 4 सालों से जूझ रहे हैं.

एम्स के छात्रों के गुट का नेतृत्व कर रहे चतुर्थ ईयर के छात्र शुभम का कहना है कि उनकी पढ़ाई रात 8:00 बजे तक चलती है. यहां की लाइब्रेरी रात 8:00 बजे बंद हो जाती है. ऐसे में छात्रों को अगर लाइब्रेरी से पढ़ाई के लिए कोई भी मैटेरियल चाहिए तो नहीं मिलता. हॉस्टल में वाई-फाई की बेहतर सुविधा नहीं मिलती. परिसर में भी वह घूम कर न तो पढ़ सकते हैं, न हीं कोई फिजिकल एक्टिविटी कर सकते हैं. एम्स प्रबंधन छात्रों के साथ मनमाना और सौतेला व्यवहार करता है. कैफेटेरिया से लेकर ऑडिटोरियम तक कहीं भी उन्हें बेहतर सुविधा नहीं दी जाती. यहां तक कि कैफेटेरिया में भी मनमाने रेट पर भोजन उपलब्ध है. कोई कूपन की व्यवस्था नहीं है कि जिससे जिस छात्र को जो इच्छा करें वह वही खाएं.

शुभम ने बताया कि यहां शिकायतों को भी किसी टेबल पर रिसीव नहीं किया जाता. छात्रों को दौड़ाया जाता है, तो फिर छात्र क्या करेंगे. वह परेशान होंगे तो जो जिम्मेदार लोग हैं, उन्हीं को घेरने का काम करेंगे. उन्हीं से अपनी मांग मनवाने की बात करेंगे. लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही. लिहाजा एम्स परिसर में सिटी मजिस्ट्रेट और पुलिस को दखल देना पड़ा. इसके बाद प्रबंधन आगे क्या फैसला करता है, उसी पर निर्भर है. छात्रों के भविष्य के लिए परिसर में इंटरनेट की सुविधा, लाइब्रेरी का खुला होना बेहद जरूरी है. अक्सर इन बातों को लेकर छात्रों प्रबंधन में तकरार होती रहती है. अब यह मामला पूरी तरह से विवाद का रूप ले चुका है.

एम्स के कुलसचिव डॉ. अमित रंजन ने कहा है कि छात्रों का प्रबंधन से जो भी विवाद है, उसके लिए कार्यकारी निदेशक डॉक्टर सुरेखा किशोर ने एक कमेटी का गठन कर दिया है. इस कमेटी में कुल 5 लोग हैं, जो 10 अप्रैल को दोनों पक्षों की जांच और छात्रों के परिजनों से बात करके कैंपस से छात्रों के एंट्री और एग्जिट के समय को तय करेंगे. कमेटी उनकी अन्य शिकायतों पर भी विचार कर फैसला सुनाएगी.

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Last Updated : Apr 4, 2023, 1:32 PM IST

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