गोरखपुरः एम्स गोरखपुर में चिकित्सकीय सेवा के साथ-साथ एमबीबीएस की पढ़ाई भी होती है. लेकिन, संस्थान में इस समय छात्रों और प्रबंधन के बीच जमकर तनातनी चल रही है. दोनों के बीच तनाव और विवाद बड़ा मुद्दा बना हुआ है. छात्रों का गुट एम्स प्रबंधन की मनमानी के खिलाफ आंदोलित है. निदेशक से अपनी बात मनवाने के लिए छात्र सड़क पर उतर चुके हैं. वहीं, प्रबंधन उनकी मांगों पर विचार करने की जगह एक कमेटी का गठन कर दिया है, जो 10 अप्रैल को छात्रों की मांगों से संबंधित फैसले लेगी. फिलहाल गोरखपुर एम्स में पठन पाठन का माहौल पटरी से उतर चुका है.
वर्ष 2019 से एम्स में एमबीबीएस की पढ़ाई शुरू होने के बाद से यहां हर साल छात्रों की संख्या बढ़ती गई. यहां नर्सिंग समेत छात्रों की कुल संख्या 500 से ज्यादा है. लेकिन, पढ़ाई शुरू होने के साथ ही छात्र अपने कई मुद्दों और हितों की मांग को लेकर प्रशासन से 4 सालों से जूझ रहे हैं.
एम्स के छात्रों के गुट का नेतृत्व कर रहे चतुर्थ ईयर के छात्र शुभम का कहना है कि उनकी पढ़ाई रात 8:00 बजे तक चलती है. यहां की लाइब्रेरी रात 8:00 बजे बंद हो जाती है. ऐसे में छात्रों को अगर लाइब्रेरी से पढ़ाई के लिए कोई भी मैटेरियल चाहिए तो नहीं मिलता. हॉस्टल में वाई-फाई की बेहतर सुविधा नहीं मिलती. परिसर में भी वह घूम कर न तो पढ़ सकते हैं, न हीं कोई फिजिकल एक्टिविटी कर सकते हैं. एम्स प्रबंधन छात्रों के साथ मनमाना और सौतेला व्यवहार करता है. कैफेटेरिया से लेकर ऑडिटोरियम तक कहीं भी उन्हें बेहतर सुविधा नहीं दी जाती. यहां तक कि कैफेटेरिया में भी मनमाने रेट पर भोजन उपलब्ध है. कोई कूपन की व्यवस्था नहीं है कि जिससे जिस छात्र को जो इच्छा करें वह वही खाएं.