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गोरखनाथ मंदिर के साप्ताहिक संगोष्ठी में 'वैश्विक महामारी कोरोना एवं हमारा स्वास्थ्य' विषय पर चर्चा

युगपुरुष ब्रह्मलीन महंत दिग्विजय नाथ जी महाराज 52वीं एवं राष्ट्रसंत ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ जी महाराज की सातवीं पुण्यतिथि मनाई जा रही है. इस अवसर पर चल रहे साप्ताहिक संगोष्ठी के दूसरे दिन वैश्विक महामारी कोरोना एवं हमारा स्वास्थ्य विषय पर विभिन्न वक्ताओं ने अपने-अपने विचारों को रखा.

गोरखनाथ मंदिर की साप्ताहिक संगोष्ठी
गोरखनाथ मंदिर की साप्ताहिक संगोष्ठी

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Published : Sep 19, 2021, 7:45 PM IST

गोरखपुरः युगपुरुष ब्रह्मलीन महंत दिग्विजय नाथ जी महाराज की 52वीं एवं राष्ट्रसंत ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ जी महाराज की 7वीं पुण्यतिथि मनाई जा रही है. इस साप्ताहिक संगोष्ठी में मुख्य वक्ता एम्स गोरखपुर की निदेशक डॉक्टर सुरेखा किशोर, बाबा राघव दास मेडिकल कॉलेज गोरखपुर के मेडिसिन विभाग के डॉक्टर राज किशोर सिंह, जगतगुरु रामानुजाचार्य स्वामी वासुदेव आचार्य, महाराज कटक उड़ीसा से पधारे महंत शिव नाथ जी महाराज, सवाई मठ आगरा से पधारे ब्रह्मचारी दास लाल जी महाराज, वैदिक मंगलाचरण डॉ रंजनाथ त्रिपाठी, गोरक्षाष्टक पाठ उज्जवल तिवारी व गौरव तिवारी ने अपने अपने वक्तव्य दिये.

इस कार्यक्रम का संचालन मानवेंद्र राज ने किया. इस अवसर पर योगी कमलनाथ, महंत मिथिलेश दास, महंत गंगा दास, चेचाई राम के महंत पंचाननपुरी समेत कई लोग मंच पर उपस्थित रहे. साप्ताहिक संगोष्ठी के दूसरे दिन आज 'वैश्विक महामारी कोरोना एवं हमारा स्वास्थ्य' विषय पर अपना विचार रखते हुए मुख्य वक्ता एम्स गोरखपुर की निदेशक डॉक्टर सुरेखा किशोर ने कहा कि कोरोना महामारी एक वायरस के द्वारा होती है और एक दूसरे से संक्रमित होती है. यह वायरस स्वास्थ प्रक्रिया को प्रभावित करता है यदि हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर है तो इस बीमारी से संक्रमण के खतरे अधिक होते हैं.

'वैश्विक महामारी कोरोना एवं हमारा स्वास्थ्य' विषय पर चर्चा

इस बीमारी का संक्रमण खांसने, छींकने और छूने से फैलती है. इसलिए इससे बचने के लिए मुंह पर मास्क लगाना और सामाजिक दूरी बनाए रखना बहुत आवश्यक है. इस बीमारी से अधिक समस्या उन्हीं को हो रही है जो हृदय, किडनी, लीवर के रोग, शुगर रक्तचाप इत्यादि रोगों से पहले से ग्रसित हैं. इसमें ज्यादातर मरीज बहुत गंभीर हुए बिना भी ठीक हो जाता है. लगभग 5% लोग ही वेंटिलेटर पर जाते हैं. हमने यह भी देखा कि इस बीमारी से जो मानसिक रूप से भयभीत किए हैं, उन्हें अधिक समस्या हुई है. इस बीमारी से आत्मविश्वास और सूझबूझ से काफी हद तक बचा जा सकता है. हमें यह ध्यान रखना है कि अगर कोरोना के लक्षण दिखाई दें, तो सबसे पहले जांच कराएं और यदि पॉजिटिव रिपोर्ट हो तो प्रारंभिक सावधानी के साथ ही चिकित्सक से जरूर परामर्श करें. अपने हाथ को अल्कोहल बेस्ट सेनीटाइजर से थोड़ी-थोड़ी देर पर सैनीटाइज करते रहे. हम सभी के प्रदेश के मुखिया पूज्य योगी आदित्यनाथ जी महाराज ने पूरे प्रदेश और हमारे गोरखपुर में जांच व टीकाकरण की अच्छी व्यवस्था कराई है और निरंतर सुधार के लिए प्रयासरत हैं. हम आशा करते हैं कि हमारा देश इस महामारी से शीघ्र ही पूर्णतया मुक्त हो जाएगा.

'वैश्विक महामारी कोरोना एवं हमारा स्वास्थ्य' विषय पर चर्चा

जगतगुरु रामानुजाचार्य स्वामी वासुदेवाचार्य महाराज ने कहा कि कोरोना महामारी के विषय में आंकड़े हम सभी को पता है. इन आंकड़ों से हमें यह नहीं देखना है कि कितने लोग मरे अब यह देखना है कितने लोग इस रोग से बचे. हमें यह जानना है कि कोरोना एक विकार है जो आगंतुक है यह रोग स्वयं अपने आप नहीं पैदा होता बल्कि किसी और से प्राप्त होता है. यह रोग बहुत लोगों को इसलिए भी प्रभावित किया है कि वे इससे अधिक भयभीत हो गए. हमें इस से डरना नहीं लड़ना होगा. योग के विभिन्न अंगों के द्वारा हम अपने शरीर का एक मशीन की तरह सर्विस करते हैं. वाक्यूंमक्लीनर की तरह हम प्राणायाम और कपालभाति भस्त्रिका आदि से शरीर को शुद्ध करते हैं. हमें अपने अंदर सकारात्मक चिंतन विकसित करना होगा. इससे मानसिक स्वास्थ्य अच्छा रहेगा.

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चरक ऋषि ने रोग के कारणों में एक कारण प्रज्ञाप्ररधा भी बताया है जो कि अपने सही सोच को दबाकर गलत करने से होती है. महर्षि पतंजलि ने रोगी की परीक्षा का 10 प्रकार बताया है, जिसमें जन्म के स्थान, समय और शरीर के आकार प्रकार से रोग का निदान और उसके लिए औषधि का वर्णन किया है. प्राणायाम करने से सभी रोगों से छुटकारा न करने से सभी रोगों से ग्रसित होने की बात कही है. यह बीमारी कफ से पैदा होती है. इसलिए हमें कफ निवारण के उपायों का प्रयोग करना चाहिए.

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