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बलदाऊ ने नहीं मोरारी बापू ने किया होगा मदिरापान: धर्माचार्य डॉ. धनेश मणि

कथावाचक मोरारी बापू की भगवान श्रीकृष्ण और बलराम को लेकर की गई टिप्पणी पर धर्माचार्य डॉ. धनेश मणि त्रिपाठी जमकर बरसे. धर्माचार्य ने कहा कि भगवान बलदाऊ ने नहीं, मोरारी बापू ने मदिरापान किया होगा और जब उन्हें अपनी गलती का अहसास हुआ, तो वे मथुरा मांफी मांगने चले गए.

धर्माचार्य डॉ. धनेश मणि त्रिपाठी.
धर्माचार्य डॉ. धनेश मणि त्रिपाठी.

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Published : Oct 16, 2020, 12:50 PM IST

गोरखपुर: भगवान कृष्ण के बड़े भाई और हलधर के नाम से पुकारे जाने वाले भगवान बलराम पर महीनों पहले अभद्र टिप्पणी करके विवादों में आए राम कथा वाचक मोरारी बापू, एक बार फिर विद्वानों और ज्योतिषियों के निशाने पर आ गए हैं. 2 दिन पूर्व मथुरा जाकर मोरारी बापू ने बलराम अर्थात बलदाऊ के मंदिर की संत समाज के साथ परिक्रमा करके पूजा अर्चना की थी, जिसे बापू द्वारा बलराम जी से माफी मांगने के रूप में देखा जा रहा है. गोरखपुर के विद्वान ज्योतिषी डॉ. धनेश मणि त्रिपाठी ने बापू की इस यात्रा पर उंगली उठाई है.

धर्माचार्य ने मोरारी बापू पर साधा निशाना.
बलदाऊ मंदिर की परिक्रमा मोरारी बापू के प्रायश्चित करने का प्रमाण
धर्माचार्य डॉ. धनेश मणि त्रिपाठी ने कहा कि भगवान बलराम को मदिरापान करने वाला कहकर मोरारी बापू ने जो पाप किया था, उसका प्रायश्चित उन्होंने मथुरा के बलदाऊ मंदिर जाकर किया है. आखिरकार उनके सामने ऐसी कौन सी परिस्थिति आ गई कि जिस देवता को वह मदिरापान में लिप्त होना बता रहे हैं, उसकी ही पूजा अर्चना और उसके मंदिर की परिक्रमा करने पहुंच जा रहे हैं.

डॉ. धनेश मणि ने कहा कि निश्चित रूप से मोरारी बापू को अपनी गलती और बलराम की ताकत और शुद्धता का भी एहसास हुआ होगा. इसलिए वह बलदाऊ जी के मंदिर में क्षमा मांगने पहुंच गए. इसके साथ ही उन्होंने संत समाज से भी क्षमा मांगा है.
ग्रह दशा खराब चल रही
उन्होंने कहा कि निश्चित रूप से जिस समय मुरारी बापू के मुख से बलदाऊ जी के लिए घृणित विचार निकला ऐसा लगता है. वह उस समय खुद मदिरापान करके बोल रहे थे या उनकी ग्रह दशा खराब चल रही थी. उन्होंने कहा कि मुरारी बापू को अपने ग्रह दशा को दिखाने की जरूरत है. देश में तमाम विद्वान ज्योतिषी हैं, वह किसी से भी इसका परीक्षण करा सकते हैं. अगर कोई न मिले तो वह गोरखपुर आ जाएं, उनकी कुंडली और ग्रह-दशा की विवेचना वह स्वयं कर देंगे.

बलदाऊ किसानों की समृद्धि और लोगों के जीवन वृद्धि के वाहक
डॉ. धनेश मणि ने कहा कि बलराम ही एक ऐसे देवता हैं, जिनके हाथों में हल और मूसल जैसा शस्त्र हमेशा मौजूद रहता है, जो किसानों की समृद्धि और लोगों के जीवन वृद्धि का बड़ा माध्यम है. अगर हल से खेत की जुताई न हो तो कोई फसल पैदा नहीं होगी. पैदा हुई फसल की अगर मूसल से कुटाई और सफाई न हो तो वह खाने योग्य नहीं होगी. ऐसे देवता पर संत समाज का एक बड़ा चेहरा आपत्तिजनक टिप्पणी कर दे, तो संत परंपरा को निभाने वाले सवालों के घेरे में आ जाते हैं.

उन्होंने कहा कि मोरारी बापू ने बिना किसी साक्ष्य के बलदाऊ जी पर टिप्पणी किया था. इसलिए उनको संत समाज और बलदाऊ जी से माफी मांगने के लिए मथुरा जाना पड़ा है. शायद अब उनकी बुद्धि स्थिर हो जाए और वह मान्य देवी-देवताओं पर टिप्पणी करने से बचें.

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