गोरखपुर:नवरात्रि का समय हो या फिर सामान्य दिन, कुसम्ही जंगल में स्थापित 'बुढ़िया माई मंदिर' में भक्तों की भारी भीड़ श्रद्धा और मनोकामना पूर्ण होने की कामना के साथ उमड़ती है. यहां देवी मां की आराधना होती है. यह मंदिर एक चमत्कारी वृद्ध महिला के सम्मान में बनाया गया था, जिसे लोग देवी रूप मानते हैं. मंदिर के अंदर मां भगवती की प्रतिमा के बगल में एक बूढ़ी दादी की प्रतिमा भी स्थापित है, जिसका श्रद्धालु आशीर्वाद लेना नहीं भूलते.
इस मंदिर के पीछे की कहानी बेहद रोमांचक है. कुसम्ही जंगल के बीच से एक नाला गुजरता था, जिसपर बने कच्चे पुल पर एक बुढ़िया बैठी हुई थी. इस पुल से एक बारात गुजर रही थी. तब बुढ़िया मां ने बारात के नाच वालों से नाच दिखाने का आग्रह किया तो सभी ने उसका मजाक बनाया और हंसने लगे, लेकिन जोकर ने बुढ़िया के सम्मान में कुछ नाच दिखाया.