गोरखपुर: रंगभरी एकादशी के दिन मंदिरों में फूलों के साथ अबीर गुलाल भी उड़े. भक्तगण ठंडाई के रंग में रंगकर खूब झूमे और होली के त्योहार की एक दूसरे को बधाई दी. बुधवार को रंगभरी एकादशी से होली के पावन पर्व की शुरुआत हो गई. बाबा मुक्तेश्वरनाथ मंदिर में श्रद्धालुओं ने भगवान शिव के साथ होली खेलने की परंपरा का निर्वहन किया, इसके बाद होली खेली.
एक-दूसरे को दी होली की बधाई
गोरखपुर के प्राचीन मंदिरों में से एक बाबा मुक्तेश्वरनाथ मंदिर में भगवान शिव की मूर्ति पर भक्तजनों ने अबीर, गुलाल, बेलपत्र, भांग, धतूरा आदि चढ़ाकर आशीर्वाद लिया. पूरे विधि विधान के साथ पूजा पाठ करने के बाद श्रद्धालु होली के गीतों पर खूब झूमे. रंगभरी एकादशी के पर्व से ही होली की शुरुआत हुई. वहीं भक्तों ने ठंडाई का भी खूब लुफ्त उठाया.
रंगभरी एकादशी का पौराणिक महत्व
रंगभरी एकादशी का पर्व फागुन शुक्ल पक्ष एकादशी को मनाया जाता है. इसकी भी एक पौराणकि मान्यता है. कहा जाता है कि भगवान शिव जब कैलाश पर्वत पर विश्राम कर रहे थे. उस समय एक पक्षी ने अपने मुख से गुलाब की पंखुड़ी और गुलाबी रंग भगवान शिव के मस्तक पर गिरा दिया. भगवान शिव उस पक्षी से बहुत प्रसन्न हुए. जब मां भगवती पार्वती ने भगवान शिव से पूछा कि हे प्रभु! आपके दरबार में बहुत श्रद्धालु आते हैं और पूजन सामग्री चढ़ाते हैं, लेकिन आप एक पक्षी से इतना प्रसन्न कैसे हो गए. भगवान भोले ने कहा कि इस फागुन के शुक्ल पक्ष एकादशी के दिन किसी ने मेरा श्रृंगार नहीं किया, लेकिन एक पक्षी ने मेरा श्रृंगार करके मनोवांछित फल प्राप्त कर लिया.