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इंफ्रास्ट्रक्चर नहीं क्लाइमेट पर डिपेंड है छात्रों की ग्रोथ, रिसर्च में हुआ खुलासा

पंडित दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय (ddu gorakhpur university) के मनोविज्ञान की शोध छात्रा का दावा है कि स्कूलों को सिर्फ आकर्षक बनाने और इंफ्रास्ट्रक्चर को हाईटेक बनाने पर अधिक जोर दिया जा रहा है. इससे बच्चों की ग्रोथ रुक जा रही है. बच्चों को सपोर्टिंग वातावरण नहीं मिल पा रहा है.

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Published : Sep 22, 2022, 8:54 AM IST

गोरखपुरः पंडित दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय (ddu gorakhpur university) के मनोविज्ञान विभाग की शोध छात्रा वंदना सिंह के शोध ने बच्चों की शिक्षा को लेकर एक बड़ा शोध निष्कर्ष सामने लाया है. शोध छात्रा वंदना के शोध से यह बात सामने निकलकर आई है कि मौजूदा दौर में स्कूल अपने इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ाने पर ज्यादा जोर दे रहे हैं, जबकि बच्चों को बेहतरीन शिक्षा के लिए क्लाइमेट का होना बेहद जरूरी है, जिसके अभाव में बच्चों की ओवरऑल ग्रोथ रुक जाती है. शोध छात्रा ने करीब दो हजार बच्चों और कई दर्जन स्कूलों के आधार पर अपने शोध को आगे बढ़ाया. इसके बाद विश्वविद्यालय ने भी इस शोध को मान्यता दे दी है. निश्चित रूप से शोध में पढ़ाई और आयाम बच्चों के शैक्षिक ग्रोथ में बड़े विचार को प्रेरित करते हैं, जो बच्चों में शैक्षिक विकास का कारण बनेंगे.

आजकल स्कूलों को स्टडी के साथ उसे आकर्षक बनाने और इंफ्रास्ट्रक्चर को हाईटेक बनाने पर अधिक जोर दिया जा रहा है, जिससे बच्चों की ओवरऑल ग्रोथ रुक जा रही है. शोध छात्रा वंदना सिंह का मानना है कि हर बच्चे की पर्सनॉलिटी के हिसाब से उसकी अलग-अलग आवश्यकता होती है. छात्रों को व्यक्तिगत रूप से समझना बेहद जरूरी है. तभी वह अच्छा विकास करेंगे. शोध से निकलकर आए इस परिणाम के लिए कई पड़ाव तय किए गए. इसमें देखा गया कि स्कूल में पढ़ाई कैसे हो रही है. स्कूल में छात्र खुद को कितना सुरक्षित महसूस कर रहे हैं और वहां उन्हें कितनी सुरक्षा मिलती है. बच्चों को टीचर का सपोर्ट कितना मिल रहा है.

अपने शोध के बारे में जानकारी देती वंदना सिंह.

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वहीं, शोध के आधार पर बच्चों में जो शैक्षिक ग्रोथ की गिरावट देखी जा रही है, उसमें यह पाया गया कि स्कूल में पढ़ाई और पढ़ाई के तर्ज पर कितना ज्यादा जोर दिया जाता है. अगर स्कूल में सपोर्टिंग वातावरण न के बराबर हो तो छात्रों को नीचा दिखाने का प्रयास किया जाता है. शोध छात्रा वंदना सिंह ने करीब 4 साल में अपने रिसर्च को पूरा किया है और इसके लिए उन्होंने यूपी, पटना, उत्तराखंड, गोवा, आसाम और बेंगलुरु के स्कूलों में जाकर छात्रों पर रिसर्च किया है. शोध छात्रा वंदना ने इसके लिए ऑनलाइन डाटा भी कलेक्ट किया.

उन्होंने बताया कि रिसर्च में स्कूलों की श्रेणी में प्राइवेट से लेकर सरकारी और माध्यमिक से लेकर प्राइमरी तक के बच्चे को लेकर शोध किए गए. ऐसे स्कूल जहां इंफ्रास्ट्रक्चर बहुत अच्छा था, लेकिन बच्चों को पर्सनैलिटी सपोर्ट नहीं मिल रहा था वहां बच्चे ग्रोथ और ग्रूमिंग को मिस कर रहे हैं. शोध छात्रा वन्दना का मानना है कि हर स्कूल में काउंसलर का होना बेहद जरूरी है. जो बच्चों से उनकी रूचि और समस्याओं को जानने के बाद उनके विकास का मॉडल तैयार करें. तमाम स्कूलों में रिपोर्ट कार्ड भी बच्चों का नहीं मिलता जिससे भी उनके ग्रोध का आकलन नहीं किया जाता.

मनोविज्ञान विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. अनुभूति दुबे अपने शोध छात्रा के शोध पर कहती हैं कि स्कूल में केवल पढ़ाई पर फोकस करने की वजह से बच्चे अपने पर्सनल ग्रोथ को मिस कर रहे हैं. ग्रोथ और ग्रूमिंग के लिए बच्चों को सपोर्ट एनवायरमेंट चाहिए. शिक्षक कभी उनको पर्सनल हिसाब से या पारिवारिक बैकग्राउंड के आधार पर नीचा दिखाने की कोशिश ना करें. शिक्षक और छात्रों का तालमेल बेहतर होने से स्कूल में क्लाइमेट एनवायरमेंट बेहतर बनता है. जिससे छात्रों का ग्रोथ निखर कर सामने आता है. इंफ्रास्ट्रक्चर शैक्षिक ग्रोथ में बहुत मायने नहीं रखता. वातावरण ही स्कूल और कॉलेजों के साथ छात्रों के सेहत को अच्छा दिखा सकता है.

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