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राधाष्टमी पर गीता वाटिका में दधिकर्द महोत्सव की धूम, जमकर झूमे भक्त - आयोजन में राधा कृष्ण

गीता वाटिका गोरखपुर में राधाष्टमी के मौके पर श्रद्धालुओं और प्रेमियों ने मिलकर, दधिकर्द यानी की दधिकीच महोत्सव मनाया. इस दौरान हल्दी युक्त दही की वर्षा कर भक्त जमकर झूमे और नाचे.

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गीता वाटिका गोरखपुर

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Published : Sep 5, 2022, 10:23 PM IST

गोरखपुर:गीता वाटिका में सोमवार को राधाष्टमी (radhashtami in gorakhpur) के अवसर पर श्रद्धालुओं और प्रेमियों ने मिलकर, दधिकर्द यानी की दधिकीच महोत्सव मनाया. इस दौरान एक दूसरे पर लोगों ने सुगंधित हल्दी युक्त दही की वर्षा कर जमकर झूमे और नाचे. जी हां पिछले 52 वर्षों से यह परंपरा गीता वाटिका में आयोजित होती चली आ रही है, जो ब्रज की परंपरा से जुड़ी हुई है. माना जाता है कि ब्रज में बालक-बालिका के जन्म होने पर लोग खुशियां मनाने के लिए एक दूसरे पर सभी प्रकार के सुगंधित पदार्थों को दही में मिलाकर एक दूसरे पर उड़ेलकर होली जैसा माहौल बनाते थे और जन्मोत्सव का भरपूर आनंद लेते थे, जिसकी अद्भुत छवि राधाअष्टमी (राधारानी का जन्मदिन) के एक दिन बाद नवमी तिथि को गीता वाटिका में देखने को मिलती है, जहां सिर्फ गोरखपुर ही नहीं पूरे प्रदेश और देश से भी लोग शिरकत करते हैं.

इस आयोजन में राधा-कृष्ण के भक्त जनों द्वारा घंटा घड़ियाल की ध्वनि सहित राधे राधे नाम का संकीर्तन भी किया जाता है. इस दौरान दही में हल्दी अनेक सुगंधित द्रव्य जिसमें इत्र, गुलाब जल, कपूर आदि मिलाकर दही को तैयार किया जाता है. उसको एक दूसरे को ऊपर उड़ेलकर होली खेली जाती है. इस आयोजन से पहले राधा कृष्ण साधना मंदिर में पद गायन और मधुर नाम संकीर्तन का शुभारंभ भी होता है और बधाई के अनेक पद गाए जाते हैं. जैसे " बज रही गांव रावल में आज मंगल बधाई है, राधा जाई आनंद लाई, नाचो रे नाचो सब ग्वाल, दही माखन की नदी बहाओ आज सबै हो गए निहाल" गाते हुए रास मंडली के स्वरूप ने जमकर नृत्य किया.

राधाष्टमी पर गीता वाटिका में दधिकर्द महोत्सव आयोजित

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वहीं, इस आयोजन में वृंदावन से पधारे स्वामी श्रीराम शर्मा की रास मंडली द्वारा प्रिया-प्रियतम के नित्य रस के बाद "गौचरण लीला" का भी प्रस्तुतीकरण किया गया, जिसका श्रद्धालुओं ने भरपूर आनंद उठाया. राधाष्टमी के अवसर पर कुल 5 दिनों का यहां आयोजन होता है, जिसमें दधिकर्द महोत्सव का अपना विशेष महत्व होता है, जिसे देखने और उसमें प्रतिभाग करने के लिए लोग बड़े ही लालायित मन से यहां पहुंचते हैं. साथ ही निश्चित रूप से श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के बाद भादो मास की अष्टमी के एक दिन बाद नवमी तिथी को आयोजित होने वाला राधाष्टमी का यह पर्व लोगों में उत्साह का संचार कर जाता है.

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