गोरखपुरः कृषि सुधार बिल 2020 को किसानों के लिए उठाया गया मोदी सरकार का ऐतिहासिक कदम बताया जा रहा है. इसके लागू होने के बाद किसान देश में कहीं भी अच्छी से अच्छी कीमत पर अपनी उपज बेचने के लिए स्वतंत्र होगा. इस विधेयक को लेकर विपक्षी दल लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं. उनका कहना है कि किसानों का इस विधेयक से काफी नुकसान होगा और किसान पूरी तरीके से खत्म हो जाएंगे.
कृषि सुधार बिल 2020 के विषय पर ईटीवी भारत की टीम गोरखपुर के नवीन गल्ला, फल एवं सब्जी मंडी में आढ़तियों, व्यापारियों और किसानों के बीच पहुंची. जहां पर इस बिल के बारे में उनकी क्या राय है यह जानने का प्रयास किया. किसी ने इस विधेयक के बारे में अनभिज्ञता जताई तो किसी ने इसे व्यापारियों और किसानों का विरोधी बताया. व्यापारियों ने कहा कि हम अपनी सारी जमा पूंजी लगाकर मंडियों में बैठे हुए हैं. ऐसे में किसान अपनी फसल को कहीं भी ले जाकर बेच देंगे तो फिर हमारे यहां बैठने का मतलब ही क्या होगा?
कृषि सुधार बिल पर किसानों और व्यापारियों की राय. बिल से किसान अपनी मर्जी के हिसाब से किसी भी मंडी में ले जाकर या मंडी के बाहर अपने सामान को बेच देगा, जिससे मंडियों में बैठे हुए आढ़तिये बेरोजगार हो जाएंगे.
मंडी के महामंत्री फिरोज अहमद राईन ने कहा कि सरकार ने जो विधेयक पारित किया है. उसकी यथास्थिति समय बीतने के बाद ही पता चल पायेगी कि इस बिल से किस प्रकार की समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं. अभी मार्केट पूरी तरीके से सामान्य है और यहां आने वाले किसान, व्यापारी भी पहले की तरह खरीदारी कर रहे हैं.
पूर्वांचल फल सब्जी थोक विक्रेता एसोसिएशन के अध्यक्ष संजय शुक्ला ने बताया कि मंडियों में दूरदराज के क्षेत्रों से किसान आकर अपनी फसलों को व्यापारियों के हाथों बेचकर उसका उचित मूल्य प्राप्त करते हैं, लेकिन इस बिल के बाद किसान पूरी तरीके से स्वतंत्र होगा और वह किसी भी जगह से अपने माल को बेच सकेगा. जिसकी वजह से मंडियों में स्थापित व्यापारियों पर टैक्स का बोझ पड़ेगा.
महेवा मंडी में आये किसान तेज बहादुर यादव ने बताया कि इस बिल के बाद हम लोगों के साथ व्यापारी भी काफी नुकसान उठाएंगे. जिस फसल को हम मंडी में लाकर आकलन के बाद उसका रेट लगा कर बेचते थे. उसे बाहर औने-पौने दाम में बेचना पड़ेगा और हमें अपनी फसल का उचित मूल्य नहीं मिलेगा.
किसान गजेंद्र साहनी ने बताया कि इस बिल के पारित होने के बाद किसानों के अंदर खौफ का माहौल व्याप्त है. किसानों में डर है कि उनकी फसल का उन्हें उचित मूल्य नहीं मिलेगा. ऐसे में किसानों का शोषण होगा. सरकार को इस बिल के बारे में एक बार पुनः विचार करना चाहिए.