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बस अड्डा जहां थोड़ी सी बारिश में भर जाता है पानी, पीपीपी मॉडल पर वर्षों से चल रही निर्माण की बात

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Published : May 27, 2022, 3:48 PM IST

थोड़ी सी बरसात होती नहीं है कि गोरखपुर का रेलवे बस अड्डा (Gorakhpur railway bus stand) और वर्कशॉप की दशा बिगड़ जाती है. कांग्रेसी गवर्नमेंट में स्थापित गोरखपुर का यह बस अड्डा मौजूदा समय में पूरी तरह से जर्जर हालत में पहुंच गया है.

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etv bharatगोरखपुर सिटी का बस अड्डा जहां थोड़ी सी बारिश में भर जाता है पानी

गोरखपुर : थोड़ी सी बरसात होती नहीं है कि गोरखपुर का रेलवे बस अड्डा (Gorakhpur railway bus stand) और वर्कशॉप की दशा बिगड़ जाती है. यहां घुटने भर पानी भर जाता है. हर साल की यही दशा है और इस बार भी ऐसा ही है. जल जमाव के कारण यहां पर बसें फंस जा रही हैं जिन्हें निकालने के लिए ईंट के टुकड़े डाले जा रहे हैं. क्रेन की सहायता लेनी पड़ती है.

गौरतलब है कि कांग्रेसी गवर्नमेंट में स्थापित गोरखपुर का बस अड्डा मौजूदा समय में पूरी तरह से जर्जर हालत में संचालित हो रहा है. योगी आदित्यनाथ की सरकार (Yogi Adityanath government) के पहले कार्यकाल में इसे कई बार पीपीपी मॉडल पर बनाए जाने की चर्चाएं तेज हुईं. ड्राइंग, डिजाइन सहित तमाम बिंदुओं पर मंत्री निरीक्षण किए और मुख्यमंत्री ने आदेश भी दिया लेकिन अभी भी बदइंतजामी से यहां का नाता टूटने वाला नहीं है.

गोरखपुर सिटी का बस अड्डा जहां थोड़ी सी बारिश में भर जाता है पानी

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रेलवे बस स्टेशन से सिर्फ गोरखपुर डिपो की बसों के संचालन की बात करें तो इनकी संख्या 187 के करीब है लेकिन दूसरे डिपो की बसों के आने-जाने के आंकड़े के साथ यहां से लगभग प्रतिदिन 300 बसों का संचालन होता है. यहां की स्थिति मौजूदा समय में बेहद खराब हो चुकी है.

बसें सड़कों पर खड़ी रहती हैं जिसके चलते कुछ बसों का चालान हो जाता है. उसकी सजा बस के चालक और कंडक्टर को भोगना पड़ता है. बार-बार इसे आलमबाग बस अड्डे (Alambagh Bus Stand) की तरह बनाए जाने की बात होती है. विश्व स्तरीय सुविधाएं होने का सपना दिखाया तो जाता है लेकिन फिर वह ठंडे बस्ते में चला जाता है. यहां के सहायक क्षेत्रीय प्रबंधक एके मिश्रा (Assistant Regional Manager AK Mishra) का कहना है कि रेलवे बस वर्कशॉप का निर्माण राप्ती नगर क्षेत्र में चल रहा है. उम्मीद है कि बहुत जल्द वहां पर वर्कशॉप शिफ्ट हो जाएगा लेकिन जब तक बस अड्डे की दुर्दशा दूर नहीं होगी यह समस्या बनी रहेगा. उन्होंने भी पीपीपी मॉडल की चर्चा किया लेकिन कब होगा उनके लिए भी बड़ा सवाल बना है.

यहां से चलने वाले अधिकांश बसों की स्थिति काफी खराब है. वह चल तो रहीं हैं लेकिन सीटों के पीछे लगे हुए हैं बेल्ट, सपोर्टर, सब टूटे हुए हैं. तकनीकी पहलुओं के लिहाज से भी बसों की मरम्मत की जा रही है और डेंट-पेंट पर जोर दिया जा रहा है. ऐसा मुख्यमंत्री के 100 दिन के एजेंडे के तहत हो रहा है. हालांकि सूत्रों की मानें तो गोरखपुर-लखनऊ रूट के लिए भी नई बसों की आवश्यकता महसूस की जा रही है. एसी और जनरल बस भी समय के साथ अपडेट नहीं हो पाई है. वहीं, अब इन बसों में यात्री सुविधाओ में कमी कर दी गई है. जो कोरोना काल से शुरू हुई और फिर स्टार्ट नहीं हो पाई है. यात्रियों से किराया तो लिया जा रहा है लेकिन अब उन्हें एक बोतल पानी तक भी एसी बस में नसीब नहीं हो रहा.

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