गोरखपुर: कोरोना की महामारी के बीच दक्षिण भारत का नारियल गोरखपुर के लोगों की सेहत सवारने के साथ रोजगार का भी बड़ा माध्यम बन गया है. तमाम बेरोजगार युवक जहां इस कारोबार को अपनाकर अपने परिवार का आर्थिक संकट दूर करने में जुटे हैं तो वहीं लोग नारियल पानी को सुरक्षित पेय पदार्थ के रूप में बेधड़क प्रयोग कर रहे हैं. आलम यह है कि सामान्य दिनों की अपेक्षा नारियल पानी की बिक्री करीब 30 से 40 हजार हो गई है. इस समय गोरखपुर शहर के हर चौराहे पर इसकी बाजार खूब लग रही है और लोग इसे बड़े चाव से पी और खा रहे हैं.
जानकारी देते दुकानदार और ग्राहक. यही नहीं नारियल का कारोबार शहर से लेकर गांव के चौराहों तक भी पहुंच रहा है. अनुमान के मुताबिक करीब 400 से ज्यादा लोग इस कारोबार में जुट गए हैं. गोरखपुर मंडी में आने वाला नारियल केरल, तमिलनाडु के अलावा पश्चिम बंगाल से भी आता है. यहां से इसे लाकर तमाम नौजवान शहर के विभिन्न चौराहों पर बिक्री कर रहे हैं. सेहत से भरपूर इस पेय पदार्थ को देखने के बाद बरबस ही लोगों की गाड़ियां या पैदल चलते लोग रुक जाते हैं, और इसे पीकर अपने गले को तर करते हैं. लोगों को इससे कोरोना की महामारी के बीच खुद को सुरक्षित भी पाते हैं. गुणों की भरमार वाले इस पेय पदार्थ कि शहर में चारों तरफ उपलब्धता को देखकर लोग बेहद प्रसन्न हैं. वह कहते हैं कि जो चीज साउथ इंडिया और मुंबई जैसे शहरों में मिलती थी अब यहां मिल रही है तो खुशी भी हो रही है.नारियल के कारोबार से जुड़े हुए व्यापारी नवरात्र का महीना और सावन का महीना देखते हुए सूखा और हरा नारियल भारी मात्रा में मंगा लिए थे. इसमें उन्हें नुकसान भी उठाना पड़ा है, लेकिन ठेले पर इसके कारोबार में जुटे हुए नौजवान निराश नहीं है. उनके पास खरीदार हर दिन और हर प्रकार के आते हैं. हालांकि कोरोना की वजह से मंदिरों में अभी भीड़ कम है नहीं तो इसके रोजगार में और भी इजाफा देखने को मिलता. सूखे नारियल की भी डिमांड हरे नारियल के साथ बढ़ जाती. शहर के प्रमुख मंदिरों के पास लगने वाली बाजार जहां सिकुड़ गई है वहीं लोगों के लिए यह सुरक्षित और बेहतर खाद्य और पेय पदार्थ का उदाहरण बना है. लोग इसे खरीदने के साथ सेनेटाइज भी कर लेते हैं जो बाकी पदार्थों के साथ संभव नहीं है.