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गोरखनाथ मंदिर परिसर के दुकानदारों में खुशी की लहर, जानें वजह

गोरखपुर जिले में कोरोना महामारी के दौरान आर्थिक तंगी का दंश झेल रहे गोरखनाथ मंदिर परिसर के दुकानदारों को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने नई सौगात दी है. सीएम ने दुकानदारों के लॉकडाउन के दौरान का किराया माफ कर दिया है.

दुकानदारों में खुशी की लहर
दुकानदारों में खुशी की लहर

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Published : Oct 27, 2020, 12:32 PM IST

गोरखपुर: कोरोना महामारी ने हर क्षेत्र को बुरी तरह प्रभावित किया है. इस महामारी से धार्मिक प्रतिष्ठान, मठ- मंदिर भी खासे प्रभावित रहे हैं. ऐसे ही मंदिरों में विश्व प्रसिद्ध गोरखनाथ मंदिर भी शामिल है. करीब चार माह तक पूरी तरह बंद रहे मंदिर में श्रद्धालुओं का आना-जाना बंद था. वहीं मंदिर परिसर के अंदर संचालित होने वाली सैकड़ों दुकानों पर भी ताला लगा हुआ था. इस बंदी के कारण जहां एक ओर मंदिर की आय प्रभावित हुई, वहीं यहां के दुकानदारों को भी बंदी से काफी नुकसान हुआ. इन सभी समस्याओं को देखते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मंदिर परिसर के दुकानदारों का लॉकडाउन के दौरान का किराया माफ कर दिया है.

स्पेशल रिपोर्ट
लॉकडाउन के अवधि का किराया माफ
गोरखनाथ मंदिर परिसर के अंदर छोटी-बड़ी करीब डेढ़ सौ दुकानें हैं. जिनमें मिठाई, फूल, पूजन सामग्री, खिलौने, श्रृंगार, धार्मिक पुस्तकें और रेस्टोरेंट शामिल हैं. इसके अलावा वाहन स्टैंड भी हैं. जिनकी आय मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं पर निर्भर है. वहीं गोरखनाथ मंदिर प्रबंधन अपनी व्यवस्थाओं के संचालन के लिए इन दुकानों से होने वाले आए पर भी निर्भर है, लेकिन कोरोना महामारी के दौरान मंदिरों में भी ताला लग गया. जिससे मंदिर के साथ-साथ दुकानदारों की आय में भी आर्थिक संकट गहरा गया.
जिसके बाद गोरक्षपीठाधीश्वर व प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सभी दुकानदारों के लॉकडाउन की अवधि का किराया माफ कर दिया. दुकानदारों का कहना है कि संकट की इस घड़ी में बाबा योगी आदित्यनाथ ने उन पर बड़ी रहम की है. लॉकडाउन के दौरान का किराया उन्होंने पूरी तरह माफ कर दिया है. अनलॉक में भी किराया का कोई दबाव नहीं है. दुकानदार कहते हैं कि वह जो किराया देते हैं वह भी नाममात्र का है. अब उनकी दुकानें चल पड़ी हैं. जिससे वो पहले की तरह किराया भी चुकता करेंगे.
आय से ज्यादा खर्च है मंदिर का
मंदिर के सचिव द्वारका तिवारी का कहना है कि गोरखनाथ मंदिर प्रबंधन के बहुत खर्चे हैं. इसके अधीन करीब 4 दर्जन शैक्षणिक संस्थान संचालित होते हैं. सिर्फ मंदिर परिसर की दुकानों के किराए और चढ़ावे से यहां की व्यवस्था को संचालित नहीं किया जा सकता. उन्होंने कहा कि योगी आदित्यनाथ ने इस महामारी में प्रदेश के साथ हर समाज की चिंता की है. जिसमें उनके परिसर के दुकानदार भी शामिल थे. उनके स्तर से ही दुकानदारों को किराए में छूट दे दी गई है. इसके अलावा अभी भी उन पर किराए का कोई दबाव नहीं है, लेकिन एक बात जरूर है कि जब वह कमाएंगे तो पहले की भांति निर्धारित किराया जरूर देंगे.
उन्होंने कहा कि मंदिर के भी अपने खर्चे हैं जो कई तरह के प्रबंध से पूरे किए जाते हैं. जिसमें कुछ हिस्सा किराएदारी का भी है, लेकिन इसके लिए किसी का उत्पीड़न नहीं होता. मंदिर में कोई वीआईपी दर्शन का टिकट नहीं है. सभी श्रद्धालु एक समान हैं. यहां की आय को भी किसी निश्चित दायरे में नहीं आंका जाता. सबसे बड़ी बात यह है कि सामाजिक और शैक्षणिक गतिविधियों को आगे बढ़ाने के लिए मंदिर प्रबंधन आय से अधिक खर्च करने की कोशिश करता है. जिसमें वह आज तक सफल भी हुआ है.

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