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सिर्फ भाषणों से नहीं होगी गोरक्षा, श्रद्धा और व्यवस्था से भी होगा जुड़ना: सीएम योगी - गोरखपुर का समाचार

गोरक्षपीठाधीश्वर सीएम योगी आदित्यनाथ ने सभी धार्मिक संस्थाओं से आह्वान किया है कि वे गोरक्षा, संस्कृत और संस्कृति की रक्षा के लिए आगे आएं. इसमें सरकार पूरा सहयोग करेगी.

'सिर्फ भाषणों से नहीं होगी गोरक्षा'
'सिर्फ भाषणों से नहीं होगी गोरक्षा'

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Published : Sep 23, 2021, 8:07 PM IST

गोरखपुरः सीएम योगी ने भारत और भारतीय संस्कृति को बचाने के लिए हर भारतीय को तैयार रहने का संदेश दिया है. योगी युगपुरूष ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ की 52वीं और राष्ट्रसंत ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ की 7वीं पुण्यतिथि के उपलक्ष्य में आयोजित साप्ताहिक श्रद्धांजलि समारोह को संबोधित कर रहे थे. इस दौरान उन्होंने कहा कि हर धारमिक पीठ संस्कृत विद्यालय खोले, सरकार इसमें हर संभव सहयोग करेगी. संस्कृत और संस्कृति को प्रोत्साहन हमारे आश्रमों को देना होगा. संस्कृत को बढ़ावा देने के लिए योग्यता के आधार पर शिक्षकों का चयन करना होगा.

सीएम योगी ने कहा कि अयोग्यता संस्था को नष्ट कर देती है. ऐसे में योग्य को तराशने की जिम्मेदारी धर्माचार्यों और आश्रमों को लेनी होगी. इससे संस्कृत की रक्षा के साथ गोरक्षा भी होगी. गोरक्षा के क्षेत्र में गोरक्षपीठ के योगदान को रेखांकित करते हुए मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि गोरखनाथ मंदिर में प्रसाद, गाय के गोबर से मिली ऊर्जा से पकता है. यहां गोबर गैस के ईंधन का प्रयोग किया जाता है. खेतों में उतपन्न अन्न भी गोबर की खाद से प्राप्त होता है.

साप्ताहिक श्रद्धांजलि समारोह

ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ को भावभीनी श्रद्धांजलि देते हुए सीएम योगी ने कहा कि ब्रह्मलीन महंत जीवन पर्यंत राष्ट्रीयता की भावना को आगे बढ़ाते रहे. गोरखपुर में उनका आगमन दैवयोग से हुआ था. वह इतिहास प्रसिद्ध उस राणा राजवंश से थे, जिसने राष्ट्र रक्षा में किसी भी प्रकार का बलिदान देने से संकोच नहीं किया. वंशानुगत संस्कार को वह आजीवन अपने आचरण में परिलक्षित करते रहे.

साप्ताहिक श्रद्धांजलि समारोह

मुख्यमंत्री ने कहा कि स्कूली शिक्षक के प्रति श्रद्धा और सम्मान में, जिन्हें नौकरी से निकाल दिया गया था, उन्होंने 1932 में किराए के कमरे में महाराणा प्रताप स्कूल की शुरुआत की जो महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद की आधारशिला बनी. वर्तमान में इसके अंतर्गत शिक्षा, स्वास्थ्य व सेवा के क्षेत्र में संचालित चार दर्जन संस्थाएं राष्ट्रीयता की उनके अभिनव यज्ञ की साक्षी हैं.

हर धार्मिक पीठ को धर्म, अध्यात्म की शिक्षा के साथ देश की सभ्यता और संस्कृति के लिए क्या करना चाहिए, महंत दिग्विजयनाथ ने इसके मानक तय किए. उनके इस अभियान में ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ ने अहर्निश अभिवृद्धि की. सीएम ने कहा कि साम्प्रदायिक और जातीय विभेद से परे समग्र समाज को एकजुट करने के लिए वह आजीवन मूल्यों के प्रति समर्पित रहे. छुआछूत और अस्पृश्यता के खिलाफ निरन्तर आवाज उठाते रहे. श्रद्धांजलि समारोह को प्रयागराज के स्वामी गोपाल दासजी, जूनागढ़ गुजरात से आए महंत शेरनाथ, जूना अखाड़ा गाजियाबाद के महंत श्रीनारायण गिरि ने भी संबोधित किया.

साप्ताहिक श्रद्धांजलि समारोह में सीएम

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इस अवसर पर स्वामी राघवाचार्य, दिगम्बर अखाड़ा अयोध्या के महंत सुरेशदास, महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के अध्यक्ष प्रोफेसर यूपी सिंह, गुरु गोरखनाथ विश्वविद्यालय के कुलपति मेजर जनरल अतुल वाजपेयी समेत कई लोगी उपस्थित रहे.

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