गोरखपुरः चौरी-चौरा क्रांति के शहीदों के सम्मान में 4 फरवरी को आयोजित हुए शताब्दी समारोह के लिए प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभार जताया है. उन्होंने कहा कि जंगे आजादी के नायकों के सम्मान में आज जो शताब्दी समारोह मनाया जा रहा है वह पीएम मोदी के प्रेरणा से ही संभव हो पाया है.
चौरी-चौरा शताब्दी समारोह में सीएम योगी. स्वदेशी की तरफ बढ़ रहा देश
सीएम ने कहा कि यह बहुत ही गौरवशाली क्षण है जब इस आयोजन से पीएम मोदी खुद जुड़कर शहीदों की वीर गाथा को समाज के सामने ला रहे हैं. उन्होंने कहा कि यह पीएम मोदी की देन है कि देश स्वदेशी, स्वावलंबन और स्वच्छता की ओर अग्रसर हो रहा है. यह शताब्दी महोत्सव हम सभी के लिए भारत मां के उन बलिदानों के प्रति श्रद्धा और सम्मान का भाव पैदा करता है, जिन्होंने हमारी स्वतंत्रता और खुशी के लिए अपने प्राणों की बलि दे दी.
मालवीय जी के प्रयास से क्रांतिकारियों की सजा हुई कम
सीएम ने कहा कि चौरी-चौरा के स्वतंत्रता संग्राम में जिन लोगों ने कठोर यातनाएं झेली, उन सभी के प्रति समाज नमन करता है. इस दौरान योगी महामना पंडित मदन मोहन मालवीय का जिक्र करने से भी नहीं चूके. उन्होंने कहा कि अंग्रेजों ने इस घटना में 228 सेनानियों पर मुकदमा चलाया था, लेकिन मालवीय जी की कोर्ट में शानदार बहस से 19 लोगों को मृत्युदंड की सजा मिली. 14 को आजीवन कारावास दिया गया, और 57 लोगों को 5 वर्ष की सजा, तीन लोगों को 2 वर्ष की सजा हुई थी. उन्होंने कहा कि आज के अवसर पर प्रदेश के सभी शहीद स्मारक पर पुलिस बैंड द्वारा राष्ट्रभक्ति गीतों की प्रस्तुति के साथ दीपोत्सव का कार्यक्रम आयोजित किया गया है, जो शहीदों के सम्मान में श्रद्धांजलि कार्यक्रम है.
'स्वरक्तैः स्वराष्ट्रम रक्षेत'
शताब्दी समारोह के 'लोगो' का जिक्र करते हुए सीएम योगी ने कहा कि लोगो पर 'स्वरक्तैः स्वराष्ट्रम रक्षेत' लिखा हुआ है, जिसका अर्थ होता है कि हम अपने रक्त से अपने राष्ट्र की रक्षा करते हैं. अर्थात 'तेरा वैभव अमर रहे मां, हम रहे न रहे मां'. इस कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शहीद बलिदानियों की याद में डाक टिकट का लोकार्पण किया. शहीदों के परिजनों को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने साल और प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित भी किया. इस दौरान दिव्यांगों को मोटराइज्ड साइकिल भी प्रदान की गई.
स्वतंत्रता सेनानियों पर शोध का मौका
योगी ने इस दौरान कहा कि भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय ने आजादी के 75 साल पूरे होने पर युवा लेखकों को स्वतंत्रता सेनानियों पर किताब लिखने और उत्तम शोध पत्र लिखने के लिए भी आमंत्रित किया है. ऐसे में चौरी-चौरा की घटना से जुड़े क्रांतिकारियों का जीवन, शोध का बड़ा विषय बन सकता है.