गोरखपुर: होली के अवसर पर शहर के घंटाघर से निकलने वाली शोभा यात्रा और रंगोत्सव का पर्व सोमवार को पूरे धूमधाम और अबीर गुलाल के बीच शहरवासियों ने मनाया, लेकिन कोरोना संक्रमण की वजह से इस बार भी गोरक्षपीठाधीश्वर और प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इसमें शामिल नहीं हुए. पिछले वर्ष भी वह कोरोना की वजह से इस आयोजन में शरीक नहीं हुए थे.
जिला प्रशासन ने उनके आगमन और शामिल होने को लेकर अपनी तैयारी को मुस्तैद कर रखा था. सुबह 10:00 बजे तक यह स्थिति बनी हुई थी कि योगी आदित्यनाथ इस आयोजन में आएंगे. कार्यकर्ताओं और संघ के पदाधिकारियों में पूरा उत्साह बना हुआ था, लेकिन अंत में वह कोरोना के कारण इस कार्यक्रम में नहीं शामिल हुए. उन्होंने उपस्थित समूह को रंगोत्सव पर्व की बधाई देने के साथ कोरोना की गाइडलाइन के पालन के साथ इसे मनाने का संदेश दिया.
वर्ष 1925 से चली आ रही है रंगोत्सव की परंपरा
रंगोत्सव का यह पर्व गोरखपुर में 1925 से मनाया जाता है. जिसमें शुरुआती दिनों में कीचड़,मिट्टी और काले रंग का प्रयोग होता था, लेकिन वर्ष 1946 में इस क्षेत्र के तत्कालीन संघ प्रचारक नानाजी देशमुख की अगुवाई में यह समारोह संघ की अगुवाई में आगे बढ़ने लगा. जिसके बाद रंगोत्सव जुलूस से काला, नीला रंग गायब हो गया. कीचड़ पर भी नानाजी देशमुख ने प्रतिबंध लगाया. संघ के स्वयंसेवकों की टोली की देखरेख में यह जुलूस शहर में 5 किलोमीटर की यात्रा पूरी करते हुए हिंदू मुस्लिम-समुदाय के बीच से गुजरते हुए, पुनः घंटाघर चौक पर आकर समाप्त होता है. जिसके बाद एक बार फिर लोग रंग गुलाल-अबीर के बीच झूमकर नाचते गाते खुशियां मनाते और लोगों को होली की मुबारकबाद देने के साथ अपने घरों को लौट जाते हैं.