उत्तर प्रदेश

uttar pradesh

By

Published : Jul 3, 2023, 11:57 AM IST

ETV Bharat / state

गुरु पूर्णिमा पर सीएम योगी ने गोरखनाथ मंदिर में गुरुओं को किया नमन, पूजा के बाद चढ़ाया महाप्रसाद 'रोट'

प्रदेश के मुख्यमंत्री और गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ ने गुरु पूर्णिमा के मौके पर गोरखनाथ मंदिर में अपने गुरुओं की पूजा-अर्चना की. इसके बाद सीएम ने गौशाला में गाय और बछड़ों को गुड़ और चना खिलाया.

CM Yogi Adityanath
CM Yogi Adityanath

गुरु पूर्णिमा के मौके पर गुरुओं की समाधी स्थल पर पूजा करते सीएम योगी

गोरखपुरः सीएम योगी आदित्यनाथ दो दिन के गोरखपुर के दौरे पर हैं. सोमवार को उन्होंने गुरु पूर्णिमा के अवसर पर गोरखनाथ मंदिर परिसर स्थित अपने गुरु और दादा गुरुओं को नमन किया. उनकी समाधि स्थल पर जाकर सीएम योगी ने पूजा पाठ किया. उन्होंने उनकी प्रतिमा को तिलक लगाया और आरती की. प्रत्येक वर्ष गुरु पूर्णिमा के अवसर पर योगी आदित्यनाथ गोरक्षपीठाधीश्वर की भूमिका में अपने गुरुओं को नमन कर उनकी पूजा-अर्चना करते हैं.

मंहत दिग्विजय नाथ की आरती करते सीएम योगी

सोमवार को सीएम योगी गुरु पूर्णिमा की पूजा के बाद मंदिर की गौशाला में पहुंचे और यहां उन्होंने गाय और बछड़ों को गुड़ व चना खिलाया. इसके बाद वो उन्हें दुलार करते भी दिखे. दिग्विजय नाथ स्मृति सभागार में सीएम गुरु पूर्णिमा के मौके पर देश और विदेश से नाथ संप्रदाय के संतों को संबोधित करेंगे. फिर, उन्हें गुरु के रूप में आशीर्वाद प्रदान करते हैं. इस दौरान शिष्य और गुरु के बीच तिलक चंदन लगाने का कार्यक्रम होता है, जो कई घंटे तक चलता है. फिर महाप्रसाद बांटा जाता है, जिसे 'रोट' कहा जाता है. इसके बाद परिसर में भोजन की व्यवस्था की जाती है.

गौशाल में गाय और बछड़ों को गुड़ चना खिलाते सीएम योगी

सीएम योगी ने सोमवार को गुरु पूर्णिमा पर अपने गुरुओं की पूजा-अर्चना के बाद उन्हे 'रोट' महाप्रसाद समर्पित किया. यह आटा और गुड़ को मिलाकर बनाया जाता है. इसके अलावा इसमें कई अन्य विशिष्ट खाद्य सामग्री भी मिलाई जाती है. गुरु पूर्णिमा के दिन यह बेदह ही महत्वपूर्ण प्रसाद माना जाता है.

बता दें कि इस मौके पर गोरखनाथ मंदिर में भारी भीड़ दिखती है. इसमें नाथ संप्रदाय से जुड़े साधु-संत बड़ी संख्या में यहां पहुंचते हैं. इसमें सीएम योगी के शिष्य और गृहस्थ भी शामिल होते हैं. गुरु शिष्य परंपरा नाथ पीठ की बहुत बड़ी ताकत मानी जाती है. जिसे गोरक्षपीठ सदियों से निभाता चला आ रहा है. इस परंपरा की शुरुआत सबसे पहले गुरु गोरक्षनाथ और मत्स्येंद्रनाथ ने शुरू की थी.

ये भी पढ़ेंःगोरखपुर में पीएम मोदी के आगमन की तैयारियां तेज, जानिए कब प्रस्तावित है दौरा

ABOUT THE AUTHOR

...view details