महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के 91वें स्थापना समारोह को संबोधित करते मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ गोरखपुर: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि कोई भी व्यक्ति समाज में जन विश्वास का प्रतीक तभी बनता है जब, उसकी कथनी और करनी में समन्वय होता है. जो कहता कुछ और करता कुछ है तो वह समाज से कट जाता है. समाज उन्हीं लोगों को मान्यता देता है जो उनके विश्वास पर खरा उतरता है. चाहे वह व्यक्ति हो या संस्था. योगी ने अपना यह विचार पूर्व थल सेना अध्यक्ष और मौजूदा समय में केंद्रीय भूतल परिवहन एवं सड़क राज्य मंत्री जनरल वीके सिंह के जीवन काल को देखते और उससे जोड़ते हुए कहीं.
महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के 91वें स्थापना समारोह में उपस्थित भीड़. अवसर था महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के 91वें स्थापना समारोह का, जिसमें सोमवार को योगी बतौर अध्यक्ष, अपने संबोधन में वीके सिंह के जीवनकाल की उपलब्धियों का गुणगान, उपस्थित जन समूह, छात्रों के बीच कर रहे थे. उन्होंने कहा कि एक जनरल के रूप में देश की सेना का नेतृत्व करने के बाद, जिस तरह से सामाजिक जीवन में उतरकर वीके सिंह ने अपनी अहमियत और स्वीकार्यता बनाई है, वह समाज के लिए अनुकरणीय है.
महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के 91वें स्थापना समारोह में निकाली गई झांकी वह शुद्ध शाकाहारी प्राणी हैं. जीवन में एक दिन व्रत रखते हैं. यह भी मौजूदा दौर के युवाओं और लोगों के लिए बड़ा ही प्रेरणा का विषय है. महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद शैक्षणिक जगत के उन सभी बिंदुओं और शिक्षा को, अपने विभिन्न शैक्षिक संस्थानों के माध्यम से समाज के बीच प्रस्तुत करते हुए आज वह मुकाम हासिल कर चुका है, जिसकी चार दर्जन से अधिक संस्थाएं छात्र- छात्राओं के सर्वांगीण विकास के साथ, राष्ट्र उत्थान के संकल्प के साथ आगे बढ़ रही है.
महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के 91वें स्थापना समारोह बच्चों ने पेश किए सांस्कृतिक कार्यक्रम मुख्यमंत्री ने कहा कि महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद की स्थापना ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ ने उस कालखंड में की जब देश आजादी की लड़ाई लड़ रहा था. कई लोगों के मन में यह सवाल था कि आजादी मिलेगी भी या नहीं, पर एक सन्यासी-एक योगी कभी नकारात्मक भाव के साथ नहीं रहता. पुरुषार्थ व कर्म पथ पर आगे बढ़ते हुए परिणाम की चिंता नहीं करता.
महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के 91वें स्थापना समारोह में निकाली गईं आकर्षक झांकियां 1932 में महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद की रूपरेखा आजादी की लड़ाई और आजाद भारत की आठ जरूरतों के अनुरूप बनाई गई थी. लक्ष्य था आजाद भारत और माध्यम था महाराणा प्रताप का शौर्य व पराक्रम. योगी ने कहा कि पूर्वी उत्तर प्रदेश में शैक्षिक पुनर्जागरण की दृष्टि से सुयोग्य नागरिकों की अच्छी टीम खड़ी करने के लिए ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ ने महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद की स्थापना की और उनके बाद ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ ने इसे पुष्पित पल्लवित किया.
महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के 91वें स्थापना समारोह में निकाली गईं आकर्षक झांकियां समारोह को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित करते हुए रिटायर्ड जनरल वीके सिंह ने कहा कि देश का भविष्य अच्छे शिक्षा और संस्कार को अपने अंदर डालने वाले छात्र-छात्राओं के द्वारा तय होता है. महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के कार्यक्रम में आकर और यहां के छात्र-छात्राओं के अनुशासन, प्रदर्शन को देखने के बाद खुद को गौरांवित महसूस कर रहा हूं. निश्चित रूप से प्रशिक्षण प्राप्त यह विद्यार्थी आने वाले समय में भारत के कर्णधार बनेंगे.
उन्होंने देशभक्ति और राष्ट्र प्रेम के प्रति समर्पण के भाव को प्रदर्शित करने के लिए, राष्ट्र कवि मैथिलीशरण गुप्त की एक कविता को भी छात्र-छात्राओं के बीच प्रस्तुत किया और कहा कि, जब वह वर्ष 1942 में स्कूली शिक्षा में थे तब राष्ट्रकवि कि इस कविता ने उन्हें बहुत प्रेरणा दी. सदैव लक्ष्य का निर्धारण करके आगे बढ़ने वाला कोई भी छात्र अपने लक्ष्य से भटक नहीं सकता. उसमें भी अगर राष्ट्र की सेवा का संकल्प विद्यमान हो तो उसका उत्साह सदैव कायम रहता है.
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