गोरखपुरः गुरु पूर्णिमा के अवसर पर प्रदेश के मुख्यमंत्री और गोरक्ष पीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ ने अपने गुरु और दादा गुरुओं की पूजा-अर्चना की. इसके बाद गोरखनाथ मंदिर पहुंचकर नाथ परंपरा से जुड़े हुए साधु-संतों और अपने अनुयायियों को गुरु पूर्णिमा के महत्व को समझाया. इसके साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि सनातन धर्म क्या है? उन्होंने इसकी व्याख्या एक छोटी सी कहानी के जरिए की. कहानी शुरू करने से पहले सत्य सनातन धर्म की जयकार करवाया. फिर कहा कि सनातन धर्म है क्या? उसके साथ सत्य क्यों जोड़ दिया गया है.
जो शाश्वत है वही सनातन है
सीएम योगी ने कहा याद रखना हम लोगों को इन छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखना होगा, जो सत्य है वही शाश्वत भी है और जो शाश्वत है वही सनातन भी है. उन्होंने कहा कि हम अपने को सनातन धर्मावलंबी क्यों कहते हैं. जब हनुमान जी लंका में माता सीता की खोज करने जा रहे थे, तो ब्रह्मा जी की प्रेरणा से मैनाक पर्वत सामने आ गया और हनुमान जी से इस बात की याचना करने लगा कि आप इतनी लंबी दूरी तय कर रहे हैं, कुछ देर विश्राम कर लीजिए, तो हनुमान जी ने एक बात कही कि 'राम काज कीन्हे बिनु मोहि कहां विश्राम.' अर्थात जब तक प्रभु श्रीराम का कार्य संपन्न न कर दूं तब तक मैं विश्राम नहीं करूंगा'.
गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा के रूप में भी मनाते हैं
इस दौरान योगी ने उपस्थित समूह को बताया कि इस बीच दोनों के बीच वार्तालाप चल रही थी तो सनातन धर्म की भी बात आ गई. सोचिए हजारों वर्ष पहले सनातन धर्म की चर्चा हुई. योगी ने कहा कि अगर हमारे प्रति किसी ने कोई कार्य किया है तो उसके प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करना ही हमारा सनातन धर्म है. हम गुरु पूर्णिमा के दिन गुरु के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करते हैं. यही सनातन धर्म और परंपरा है. इसे हम व्यास पूर्णिमा के रूप में भी मनाते हैं. हमारी ऋषि परंपरा में हम उनके जन्मदिन को गुरु पूर्णिमा के रूप में मनाते हैं.
योगी की पाठशाला में साधु-संतों का लगा रहा जमावड़ा
योगी इस पाठशाला से पहले अपने गुरु ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ और दिग्विजय नाथ की प्रतिमा की पूजा अर्चना की और उनकी आरती उतारी. इसके बाद उन्होंने अपने शिष्यों को आशीर्वाद दिया और तिलक चंदन हुआ. योगी की पाठशाला में प्रदेश सरकार के जल संसाधन मंत्री और पूर्व भाजपा प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह और परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह भी मौजूद दिखाई दिए. साधु संतों का तो जमावड़ा लगा ही रहा.