गोरखपुर: कोरोना काल में शैक्षणिक संस्थान बंद थे. ऐसे में सबसे बड़ा सवाल उठा कि आखिर अब बच्चों की पढ़ाई कैसे होगी? लेकिन इस पर जब मंथन हुआ तो ऑनलाइन पढ़ाई का विकल्प सामने आया. इससे जहां एक तरफ शिक्षा की प्रणाली में बदलाव आया तो वहीं, शिक्षक से लेकर छात्र भी हाईटेक हुए. इसके नकारत्मक पक्ष ने बच्चों की आदतें तो बिगड़ीं ही, ही उन्हें एंजाइटी का शिकार भी बना डाला.
मनोवैज्ञानिकों की मानें तो कोरोना काल में शुरू हुई बच्चों की ऑनलाइन पढ़ाई (Online Study) कहीं न कहीं उनके लिए घातक साबित हो रही है. इस पढ़ाई की वजह से अगर आपका बच्चा बात-बात पर गुस्सा कर रहा है या उसमें निर्णय लेने की क्षमता कम दिखाई दे रही है, लगातार पढ़ने के बाद भी उसकी याददाश्त कमजोर हो रही है तो एक अभिभावक के रूप में इस समस्या को लेकर आप सावधान हो जाएं. बच्चे में इस प्रकार के लक्षण इस बात का संकेत देता है कि बच्चा एंजाइटी (Anxiety) का शिकार हो गया है.
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