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सीएम के साथ चंपत राय की बैठक, उद्यमियों ने करोड़ों रुपए दिए दान - गोरखपुर में सीएम के साथ बैठक

विश्‍व हिन्‍दू परिषद के केन्‍द्रीय उपाध्‍यक्ष और राम जन्‍मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्‍यास के महामंत्री चंपत राय गोरखनाथ मंदिर पहुंचे. यहां पर उन्‍होंने बाबा गोरखनाथ का दर्शन किया. इसके बाद उन्‍होंने मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ के साथ राम जन्‍मभूमि निधि समर्पण को लेकर बैठक की.

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निधि समर्पण को लेकर बैठक

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Published : Jan 27, 2021, 9:12 PM IST

गोरखपुरः विश्‍व हिन्‍दू परिषद के केन्‍द्रीय उपाध्‍यक्ष और राम जन्‍मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्‍यास के महामंत्री चंपत राय गोरखनाथ मंदिर पहुंचे. यहां पर उन्‍होंने बाबा गोरखनाथ का दर्शन किया. इसके बाद उन्‍होंने मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ के साथ राम जन्‍मभूमि निधि समर्पण को लेकर बैठक की. इस दौरान राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास के महामंत्री चंपत राय को गोरखपुर के कई उद्योगपतियों ने मंदिर निर्माण के लिए सहयोग राशि दी. जिसमें गोरखनाथ मंदिर की तरफ से एक करोड़ एक लाख दी गई. अलग-अलग उद्योगपतियों ने लगभग 5 करोड रुपए की राशि समर्पित की है.

चंपत राय ने गोरखधाम के किए दर्शन

भगवान के भक्त खुले मन से कर रहे समर्पण
विश्‍व हिन्‍दू परिषद के केन्‍द्रीय उपाध्‍यक्ष और राम जन्‍मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्‍यास के महामंत्री चंपत राय ने कहा कि राम मंदिर निर्माण के लिए देश भर से भगवान के भक्‍त खुले मन से समर्पण कर रहे हैं. हमने समाज से आह्वान किया था कि मकर संक्रांति से 27 फरवरी तक 42 दिन की अवधि में भगवान के कार्य के लिए अपनी श्रद्धाओं का समर्पण करे. देश बहुत उदारतापूर्वक इस अनुरोध में भागीदारी कर रहा है. ग्राम, शहर और वार्ड, मोहल्‍लों से देश की जनता इसमें योगदान कर रही है. एक अनुमान ये भी आ रहा है कि देश की आधी आबादी इसमें अपनी भागीदारी सम्मिलित करेगी.

मंदिर निर्माण के लिए व्यापारियों ने दान की राशि

श्रद्धा सुमन अर्पित करने का मिला मौका
चंपत राय ने कहा कि महंत अवेद्यनाथ इस आंदोलन के मुखिया रहे हैं. उनके पहले महंत दिग्विजयनाथ भी 1949 में इस आंदोलन से जुड़े रहे. महंत अवेद्यनाथ के कार्यकाल में 1984 से लेकर उनके जीवन के अंतिम काल तक ये आंदोलन चरम पर पहुंचा. उनके प्रति श्रद्धा सुमन अर्पित करने का अवसर मिला.

निधि समर्पण को लेकर बैठक

'3 साल में मंदिर बनकर होगी तैयार'
अयोध्‍या में राम मंदिर निर्माण की नींव की खुदाई में आ रही बाधाओं पर हुए सवाल में उन्‍होंने कहा कि हमने इस अभियान की योजनाएं मार्च से प्रारम्‍भ की. देशभर के कार्यकर्ताओं के साथ चर्चाएं हुई हैं. कई महीने पहले तय किया कि मकरसंक्रांति ही उचित समय है. कोरोना एक बड़ा संकट रहा है. इसलिए जब सोचा गया तो जनवरी का सोचा गया. उन्‍होंने कहा कि नींव की खुदाई का काम शुरू हो गया है. बाधाएं कभी नहीं आई. उन्होंने कहा कि इंजीनियर और वैज्ञानिक प्रयोग और परीक्षण करते हैं. जो भी डेटा रहे हैं, वो उनके अनुकूल नहीं आए. अब आईआईटी दिल्‍ली, आईआईटी गुवाहाटी, आईआईटी चेन्‍नई, आईआईटी बाम्‍बे, एनआईटी रुड़की, सीबीआरआई रुड़की, एनजीआरआई हैदराबाद, एल एंड टी, टाटा सब एकमत हो गए. 400 फीट लंबा, 250 फीट चौड़ा और 12 मीटर गहराई में मलबा भरा हुआ है. जैसे-जैसे खुदाई का काम चलता रहेगा. मलबा निकलता रहेगा. इसे साफ करने के साथ नींव की रचना का काम शुरू हो गया है. 3 साल यानी 36 से 39 महीने में काम पूरा कर लिया जाएगा.

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