गोरखपुरःकानपुर के व्यापारी मनीष गुप्ता की हत्या के मामले में मंगलवार की देर रात छह पुलिस कर्मियों के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज किया गया है. इंस्पेक्टर जेएन सिंह, चौकी इंचार्ज अक्ष्य मिश्र और सब इंस्पेक्टर विजय यादव को नामजद सहित तीन अज्ञात के खिलाफ केस दर्ज किया गया है. वहीं, परिवार को 10 लाख रुपये मुआवजा का भी एलान किया गया है. इससे पहले मुख्यमंत्री ने मनीष गुप्ता की पत्नी मीनाक्षी से फोन पर बात की और उन्हें हर संभव मदद का भरोसा दिया. मीनाक्षी गुप्ता मुख्यमंत्री से आश्वासन मिलने के बाद शव लेकर कानपुर के लिए रवाना हो गई.
सीएम योगी ने मृतक की पत्नी से की बात
बता दें कि इससे पहले पति की हत्या में छह पुलिस कर्मियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने को लेकर मीनाक्षी देर रात तक अड़ी रहीं. पोस्टमार्टम के बाद परिवार के लोगों ने लाश लेने और अंतिम संस्कार करने से इंकार कर दिया. परिवारीजनों की मांग थी कि जब तक दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ केस नहीं दर्ज किया जाएगा, वे शव का अंतिम संस्कार नहीं करेंगे. उधर, इस मामले में मुख्यमंत्री कार्यालय की नजर सुबह से ही थी. बाद में मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ ने मीनाक्षी से बात की और सारी बातें सुनने के बाद परिवार को 10 लाख की आर्थिक सहायता तथा एफआईआर का भरोसा दिया. मुख्यमंत्री के हस्तक्षेप के बाद तीन नामजद और तीन अज्ञात पर रामगढ़ताल थाने में देर रात एफआईआर दर्ज कराई गई.
छह पुलिसवालों के खिलाफ दी थी तहरीर
मीनाक्षी गुप्ता ने एसपी साउथ और सीओ को पुलिसकर्मियों को पति की हत्या के लिए दोषी ठहराते हुए नामजद तहरीर दी. इनमें इंस्पेक्टर रामगढ़ताल जेएन सिंह, चौकी इंचार्ज फलमंडी अक्षय मिश्रा,सब इंस्पेक्टर विजय यादव, सब इंस्पेक्टर राहुल दूबे, हेड कांस्टेबल कमलेश यादव, कांस्टेबल प्रशांत कुमार का नाम शामिल था.
तीन घंटे तक डीएम-एसएसपी ने की मनाने की कोशिश
पुलिस अफसरों ने जांच के बाद कार्रवाई का भरोसा दिया लेकिन मनीष गुप्ता का परिवार शव ले जाने को तैयार नहीं हुए. रात में करीब पौने नौ बजे डीएम और एसएसपी मेडिकल कॉलेज पहुंचे. जिले के आला अफसरों को इतनी देर से आने पर परिवारवालों में नाराजगी जाहिर की. अधिकारियों ने मीनाक्षी सहित परिवार के अन्य लोगों मनीष के पिता, ससुर और बहनों को समझाने की कोशिश शुरू कर दी. बाहर हो रही तीखी बहस के बाद अफसर मृतक के परिवार को मेडिकल कॉलेज चौकी पर लेकर जाया गया और वहां भी उन्हें मनाने की कोशिश की. बात नहीं बनी और परिवार एफआईआर पर अड़ा रहा.