गोरखपुरः उत्तर प्रदेश में बारिश न होने से किसान परेशान हैं. पूर्वांचल का क्षेत्र भी बारिश नहीं होने से धीरे-धीरे सूखे की चपेट में आता जा रहा है. मुख्यमंत्री का गृह जनपद होने के बावजूद जिले की नहरें बिना पानी की हैं. इन नहरों की साफ-सफाई तक नहीं की गई है. पूरी तरह से नहरें जंगल-झाड़ी और कूड़े से पटी हैं. ईटीवी भारत की पड़ताल में ऐसी कई नहरें और रजवाहा देखने को मिलीं.
ईटीवी भारत के पड़ताल में पता चला कि माइनर और रजवाहों में पानी इसलिए नहीं आ पा रहा है, क्योंकि जो बड़ी नहरें इससे कनेक्ट होती हैं वह खुद ही बिना पानी की हैं. बारिश न होने और पानी नहरों में न होने से हाहाकार मचा हुआ है. वहीं, नहर के जिस क्षेत्र में पानी आ भी रहा है, वहां पर किसानों की मनमानी चल रही है. लेकिन जिन अधिकारियों को सभी किसनों के खेतों में पानी पहुंचाने की जिम्मेदारी है वे अनजान बने हुए हैं. सीएम योगी के शहर में अफसरों के इतनी बड़ी लापरवाही का खामियाजा गरीब किसानों को भुगतान पड़ रहा है.
बताया जा रहा है कि जिले के सरैया, औरंगाबाद, नहरापुर, गुलरिहा की तरफ आने वाली नहरों में पानी नहीं है. वहीं, गोला तहसील के बड़हलगंज क्षेत्र में तीहा मोहम्मदपुर, बभनौली, बैदौली, पैकौली और धोबौली क्षेत्र में भी नहरों में पानी नहीं है और ये नहरें गंदगी से पटी हैं. किसान इससे बेहद निराश और परेशान हैं तो अधिकारियों के पास इससे बचने के कई बहाने हैं.
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ईटीवी भारत ने सिंचाई विभाग के दो अधिकारियों से संपर्क करने की कोशिश की तो पता चला कि सुपरिटेंडेंट इंजीनियर एके सिंह दुर्घटना के शिकार होकर इलाज करा रहे हैं. वहीं, अधिशासी अभियंता रजनीकांत ने कहा कि बड़ी नहरों में पानी आ रहा है. लेकिन नहर के शुरुआती क्षेत्र के किसान या तो नहर को काट दे रहे हैं या सिंचाई के लिए जल का दोहन कर रहे हैं. जिससे नहरों में पानी आगे नहीं बढ़ रहा है. उन्होंने कहा कि फिर भी कोशिश जारी है कि पानी नहरों के माध्यम से किसानों के खेत तक जाए. लेकिन मामला सीएम के जिले का होने के शहर का होने के कारण अधिकारी ईटीवी भारत के कैमरे पर आकर बोलने से कतराते रहे.
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जिले के वित्त एवं राजस्व अपर जिलाधिकारी राजेश कुमार सिंह ने बताया कि नहरों में पानी आए इसके लिए सरयू और गंडक दोनों खंड के अधिकारियों के साथ बैठक हुई है. इस क्षेत्र की नहरों में बहराइच और श्रावस्ती क्षेत्र की नहरों से होते हुए पानी पहुंचता है. कोशिश है कि नहरें पानी से लबालब हों और अधिकारियों को इसके लिए निर्देशित कर दिया गया है. उन्होंने बताया कि बारिश नहीं होने से निश्चित रूप से किसान परेशान हैं. शासन स्तर से भी इसका आंकलन किया जा रहा है. माना जा रहा है कि 3-4 दिनों में अगर बारिश ढंग की नहीं हुई तो सूखे की स्थिति पैदा हो सकती है. ऐसे में नहरें और ट्यूबवेल ही किसानों के लिए सिंचाई के साधन बनेंगे. लेकिन फिर भी प्राकृतिक बारिश नहीं होने से खेती में बड़ी क्षति होने का संकट दिखाई दे रहा है.
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