गोरखपुर: आगामी विधानसभा चुनाव 2022 को लेकर भारतीय जनता पार्टी जहां आक्रामक मूड में दिखाई दे रही है. वहीं प्रदेश में होने जा रहे जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव को वह विधानसभा चुनाव का सेमीफाइनल मान रही है, तो समाजवादी पार्टी भी पूरे दमखम के साथ ताल ठोकती नजर आ रही है. लेकिन इन सबके बीच बहुजन समाज पार्टी ने जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव से खुद को दूर करने का फैसला कर लिया है.
फिलहाल गोरखपुर मंडल के किसी भी जिले में बहुजन समाज पार्टी अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ने नहीं जा रही है. उसने अबतक अपने प्रत्याशी भी घोषित नहीं किए हैं. पार्टी के आला नेताओं ने बड़ी बैठक और मंथन के बाद इसका फैसला लिया है. हालांकि बहुजन समाज पार्टी के गोरखपुर मंडल के चारों जिलों में 12 बीएसपी समर्थित उम्मीदवार जीते हैं, लेकिन पार्टी किसी को भी अध्यक्ष का चुनाव लड़ाने का फैसला नहीं कर रही है. यही वजह है कि आगामी 27 जून को होने वाली बीएसपी की बड़ी बैठक में अब इस बात पर फैसला होगा कि उसके समर्थित उम्मीदवार समाजवादी पार्टी को समर्थन देंगे या फिर भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी को, लेकिन एक बात तो तय है कि इस चुनाव से खुद को दूर कर बसपा अपनी राजनीति लड़ाई की धार को कमजोर कर रही है.
बीएसपी के बैकफुट से अब भाजपा और सपा के बीच लड़ाई
माना जा रहा है कि जिला पंचायत के चुनाव से भारतीय जनता पार्टी हो या समाजवादी पार्टी गांव स्तर पर अपने संदेश को पहुंचाना चाहती हैं. ऐसे में बसपा का चुनाव से हटना इन दोनों दलों के मजबूती का कारण बन सकता है. पार्टी के इस फैसले के बाद अब मंडल के चारों जिलों में लड़ाई भाजपा व सपा के बीच होने के आसार हैं. जिला पंचायत सदस्यों की संख्या के हिसाब से कांग्रेस भी चुनाव लड़ने की स्थिति में नहीं है. बसपा के मंडल स्तर के एक पदाधिकारी ने बताया कि पार्टी एक खास रणनीति के तहत काम कर रही है. फिलहाल बीएसपी के सदस्य किसको समर्थन देंगे इसको लेकर 27 जून को तस्वीर साफ हो जाएगी. क्योंकि चुनाव नहीं लड़ने से पार्टी के नेता ही नहीं, जीते हुए सदस्य भी परेशान हैं.