गोरखपुर: वैश्विक महामारी कोरोना ने काफी कुछ बदलकर रख दिया है. सरकारी अस्पतालों में लचर दिखने वाली स्वास्थ्य सेवाओं में सबसे अधिक बदलाव देखने को मिला है. दरअसल पहले के ढुलमुल और बदइंतजामी से भरे सरकारी अस्पताल अब हाईटेक से दिखने लगे हैं. कुछ साल पहले जहां ऑक्सीजन की कमी से बच्चों की मौत होने पर गोरखपुर राष्ट्रीय सुर्खियों में रहा है, तो वहीं आज वैश्विक महामारी ने सरकारी अस्पतालों की सूरत बदल दी है. यहां हर बेड पर सेंट्रलाइज ऑक्सीजन की व्यवस्था है और साथ ही वेंटिलेटर की सुविधा भी हर वार्ड में दी गई है.
अस्पताल में सभी सुविधाएं उपलब्ध
गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कालेज में इंसेफेलाइटिस (जेई/एईएस) से हर साल सैकड़ों बच्चों की मौत हो चुकी है. कभी उनका कमजोर होना, तो कभी ऑक्सीजन की कमी. साल 2017 में 10-11 अगस्त की रात 36 बच्चों की ऑक्सीजन की कमी से मौत ने सरकारी अस्पतालों की बदइंतजामी पर सवाल खड़े किए थे. सरकार बदली हालात बदले और साल 2019 में अगस्त माह में मौतों का आंकड़ा 60 से 6 हो गया और जेई/एईएस से पीड़ितों की संख्या 600 से घटकर 60 पहुंच गई. इसके बाद वैश्विक महामारी के बीच जिले में सुपर स्पेशियलिटी 200 बेड के कोविड अस्पताल के अलावा उससे सटे 500 बेड के बाल रोग संस्थान में 300 बेड के कोविड अस्पताल को सीएम योगी ने हरी झंडी दिखाई.
केन्द्र सरकार ने राज्यों को कोविड-19 से लड़ने की चुनौतियों के बीच ऑक्सीजन की कमी नहीं होने देने का ऐलान किया है. केन्द्र सरकार के ऐलान के बाद जिले के बीआरडी मेडिकल कालेज और जिला चिकित्सालय में इंतजाम में सब कुछ बदला हुआ नजर आ रहा है. बीआरडी मेडिकल कॉलेज और गोरखपुर के जिला चिकित्सालय में भर्ती मरीजों के तीमारदारों ने बताया कि वह चाक-चौबंद इंतजाम से काफी खुश हैं. उनका कहना है कि अस्पताल में ऑक्सीजन सहित अन्य सुविधाएं भी बेहतर हैं.
बीआरडी मेडिकल कॉलेज और जिला अस्पताल में ऑक्सीजन की कोई कमी नहीं है. सरकार के सहयोग से सभी इंतजाम पूरे किए गए हैं. बीआरडी मेडिकल कॉलेज में सेंट्रलाइज ऑक्सीजन की व्यवस्था है. इसके साथ ही जिला चिकित्सालय में भी ऐसे ही इंतजाम किए गए हैं. ऑक्सीजन गैस के जम्बो और छोटे सिलेंडरों का भी इंतजाम किया गया है, जिनका आपात स्थिति में इस्तेमाल किया जा सकता है.