गोरखपुर: लहरों से डरकर नौका पार नहीं होती और कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती. यह चंद पंक्तियां सटीक बैठती हैं गोरखपुर में जुबली इंटर कॉलेज के मौजूदा प्रिंसिपल नंद प्रसाद यादव पर, जिन्होंने दिव्यांगता को मात देकर समाज के लिए मिसाल पेश की है.
दिव्यांगता को दी मात
दोनों आंखों से दिव्यांग नंद प्रसाद यादव के घर में पढ़ने-लिखने का माहौल नहीं था, लेकिन शिक्षा के प्रति उनकी ललक ने कदमों को थमने नहीं दिया. मेहनत की दूसरी मिसाल बने नंद प्रसाद यादव ने उच्च शिक्षा ग्रहण की और आज पिछले 37 सालों से शिक्षा जगत में अहम योगदान दे रहे हैं.
चेचक ने ली आंखों की रोशनी
देवरिया जिले के रहने वाले नंद प्रसाद यादव को 5 साल की उम्र में चेचक ने अपने चपेट में ले लिया, जिसमें उनकी दोनों आंखों की रोशनी चली गई और उन पर दुखों का अंबार टूट पड़ा, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और अपनी दृढ़शक्ति से शिक्षा के क्षेत्र में बहुमुल्य योगदान दिया. नंद प्रसाद यादव बचपन से ही पढ़ने-लिखने में बहुत ही तेज थे. उन्होंने 1964 में गवर्नमेंट ब्लाइंड स्कूल लखनऊ में दाखिला लिया और कक्षा 6 तक पढ़ाई की. इस दौरान उन्होंने ब्रेल लिपि में लिखना-पढ़ना सीख लिया था.