गोरखपुर : सोमवार को भारतीय जनता पार्टी की ओर से सात लोकसभा सीटों के प्रत्याशियों की लिस्ट जारी की गई. इसमें कई जगहों पर अप्रत्याशित रूप से उम्मीदवारों के नाम घोषित किए गए हैं. इनमें सबसे अहम सीएम योगी की परंपरागत सीट पर किसी पुराने कार्यकर्ता की जगह भोजपुरी और बॉलीवुड स्टार रवि किशन को टिकट दिया गया है. इससे कार्यकर्ताओं में खासी नाराजगी देखने को मिल रही है.
सोशल मीडिया पर हो रहा विरोध. क्या है गोरखपुर लोकसभा सीट का इतिहास?
- गोरखपुर 64 सदर लोकसभा सीट पर कई सालों से गोरखनाथ मठ की दावेदारी थी.
- मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इस सीट से 5 बार सांसद रहे.
- उनके मुख्यमंत्री बनने के बाद उप लोकसभा चुनाव में बीजेपी को यहां से करारा झटका मिला.
- निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष संजय निषाद के पुत्र प्रवीण निषाद को यहां से जीत हासिल हुई.
- तब वे सपा और बसपा के गठबंधन से चुनाव लड़े थे और सपा उम्मीदवार घोषित किए गए थे.
- वहीं बीजेपी के वरिष्ठ नेता और क्षेत्रीय अध्यक्ष उपेंद्र दत्त शुक्ला को बीजेपी से टिकट मिला था, लेकिन वह चुनाव हार गए.
प्रवीण निषाद को मिल रहा है समर्थन
क्यों नाराज हैं कार्यकर्ता?
- निषाद पार्टी के संजय निषाद के पुत्र प्रवीण निषाद ने सपा छोड़कर अब बीजेपी का दामन थाम लिया है.
- उम्मीद जताई जा रही थी कि गोरखपुर से उन्हें ही टिकट दिया जाएगा, लेकिन उन्हें संत कबीर नगर से प्रत्याशी घोषित किया गया है.
- इसको लेकर बीजेपी के कई वरिष्ठ नेता और कार्यकर्ता नाराज दिख रहे हैं.
- गोरखपुर सदर सीट से रवि किशन को टिकट मिलने से यहां के बीजेपी कार्यकर्ता खासा नाराज दिखाई दे रहे हैं.
- सोशल मीडिया, व्हाट्सएप और फेसबुक पर इसका जमकर विरोध किया जा रहा है.
- लोगों का कहना है कि जो कार्यकर्ता कई वर्षों से बीजेपी का झंडा उठा रहे हैं, उन्हें टिकट नहीं मिल रहा है और बाहरी प्रत्याशी को बीजेपी में टिकट दिया जा रहा है.
बात अगर गोरखपुर सदर सीट की करें तो यहां कुल 19 लाख वोटर है. इनमें 3.50 लाख वोटर निषाद समुदाय के हैं और डेढ़ लाख लोग ब्राम्हण हैं. ऐसे में रवि किशन को इस सीट से प्रत्याशी बनाना भाजपा के लिए रिस्क हो सकता है. वहीं कार्यकर्ताओं की नाराजगी का असर भी चुनाव पर पड़ सकता है.