लखनऊ:कोरोना महामारी के समय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गृह जनपद गोरखपुर में चमगादड़ों की बड़ी संख्या में मौत हो गई. इसको लेकर उत्तर प्रदेश के वन विभाग में हड़कंप मच गया और पता लगाने की कोशिश शुरू हुई कि किन कारणों से चमगादड़ों की मौत हुई है.
गोरखपुर में हीट स्ट्रोक से मरे थे चमगादड़ - दीपक कुमार
उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले में कुछ दिन पूर्व चमगादड़ों की मौत का मामला प्रकाश में आया था. इसके बाद अफसरों के निर्देश पर उनका पोस्टमार्टम कराया गया. विसरा परीक्षण के लिए भेजा गया तो यह बात सामने आई कि इनकी मौत हीट स्ट्रोक की वजह से हुई है.
मरे हुए चमगादड़ों का पोस्टमार्टम कराया गया. विसरा परीक्षण के लिए भेजा गया तो यह बात सामने आई कि इनकी मौत हीट स्ट्रोक की वजह से हुई है. इसके बाद अब उत्तर प्रदेश का वन विभाग इन्हें बचाने के लिए इन्हें ठंडक पहुंचाने के उद्देश्य से वन क्षेत्रों में प्राकृतिक जल के साथ-साथ गांव वासियों की मदद से जल की व्यवस्था कर रहा है.
चमगादड़ों की मौत के कारण और अब उन्हें बचाने को लेकर क्या रणनीति अपनाई जा रही है. इसको लेकर ईटीवी भारत ने उत्तर प्रदेश के मुख्य वन संरक्षक (संयुक्त वन प्रबंध) दीपक कुमार से खास बातचीत की.
मुख्य वन संरक्षक ने बताया कि यह 27 मई को बेलघाट और गोला बाजार के पास चमगादड़ों की मौत हुई थी. इसमें डीएफओ गोरखपुर और पशु चिकित्सा अधिकारी ने मौके पर जाकर जांच पड़ताल की थी. हम लोगों ने पोस्टमार्टम कराने का फैसला किया और इनका विसरा परीक्षण के लिए बरेली भेजा गया. वहां जानकारी मिली कि मौत का कारण हीटस्ट्रोक है. यह चमगादड़ बेहोश होकर पेड़ से गिर गए थे, जिससे चोट लगने के कारण इनकी मौत हो गई. उस पेड़ के आसपास दूर-दूर तक पेड़ पौधे नहीं थे. वहीं पास में ईंट भट्ठा भी था इसलिए यहां का तापमान और अधिक हो गया और हीट स्ट्रोक के कारण चमगादड़ों की की मौत हो गई.
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मुख्य वन संरक्षक (संयुक्त वन प्रबंध) दीपक कुमार ने कहा कि चमगादड़ वाइल्डलाइफ शेड्यूल में इन्हें वर्मन की श्रेणी में रखा गया है. इस श्रेणी में चूहा, चमगादड़ और कौवे आते हैं. इनकी संख्या काफी रहती है. यह चमगादड़ रात में इधर-उधर घूमते हैं और दिन में पेड़ पर रहते हैं. हमने फील्ड स्तरीय अधिकारियों को निर्देश दिया है कि आसपास पानी की व्यवस्था कराई जाए. अगर पानी की व्यवस्था प्राकृतिक रूप से है तो ठीक है, अगर नहीं है तो गांव वालों को प्रेरित करके उनके सहयोग से पानी की व्यवस्था की जाए, जिससे इन्हें बचाया जा सके.