गोरखपुर: कोरोना महामारी के चलते 2 वर्ष बाद बहरामपुर के बाले मियां मैदान पर हजरत सैयद सालार मसूद गाजी मियां रहमतुल्लाह अलैह बाले मियां के लग्न की रस्म अदा की गई. बाबा के अस्ताने पर गुस्ल संदल और परंपरागत चादर पोषी की गई. कुरान और फातिया ख्वानी भी हुई. हकीकतमंदो की ओर से चादर गागर पेश की गई. हजारों की संख्या में मेले में सभी धर्मों के लोगों ने शिरकत किया.
एक माह तक चलने वाले मेले अकीददमंदो ने लहबर और कनूरी भी पेश किया. ऐसी मान्यता है कि बाबा के स्थान से कोई भी फरियादी खाली हाथ नहीं जाता, जिनकी भी मुरादे पूरी होती है वह बाबा को इन सब चीजों का चढ़ावा चढ़ाते हैं. परंपरा के अनुसार पलंग पीढ़ी देर रात उठती है, जिसमें हकीकत मंद नाचते गाते स्थान पर पहुंचते हैं. लग्न की रस्म पूर्व की जाती है, जिन लोगों की मन्नत पूरी हो जाती है वह मन्नत उतारते हैं. चांदी की आंख और चांदी का पंजा पेश किया जाता है.
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