गोरखपुर: धूप, मिट्टी, हवा और पानी के इलाज से इंसान असाध्य रोगों से छुटकारा पा सकता है. ये सुनने में आपको भले ही अजीब लग रहा हो, लेकिन यह सच है. गोरखपुर में एक ऐसा ही मंदिर है. जिसे प्राकृतिक चिकित्सा के क्षेत्र में देश ही नहीं, बल्कि दुनिया में बड़ी पहचान हासिल हुई है. आरोग्य मंदिर नाम से प्रसिद्ध यह प्राकृतिक अस्पताल पिछले 80 सालों से लोगों को गंभीर बीमारियों से मुक्त करने का विश्वसनीय केंद्र बना हुआ है. विश्वस्तरीय प्राकृतिक चिकित्सा के इस केंद्र में बिना किसी दवा के ही मरीजों को बीमारियों से छुटकारा मिल जाता है. यहां देश ही नहीं दुनिया से लोग इलाज कराने आते हैं. जिनकी संख्या अब लाखों से ऊपर हो गई है.
विदेश से इलाज के लिए आते हैं लोग
मौजूदा समय में भी यहां पर मुंबई, गया, चंडीगढ़, नागपुर समेत देश के कई कोने से लोग इलाज करा रहे हैं. चाइना, नेपाल, श्रीलंका, जापान से भी लोग यहां इलाज कराने आते हैं. इसका एक सब सेंटर मुंबई में भी स्थापित है. जो लोगों को प्राकृतिक चिकित्सा का लाभ देता है. इस मंदिर से लोगों को प्राकृतिक तरीके से दमा, कब्जियत, मधुमेह, कोलाइटिस, अल्सर, अम्ल पित्त, ब्लड प्रेशर, अर्थराइटिस, एग्जिमा, मोटापा और एलर्जी जैसी बीमारियों का इलाज होता है. चिकित्सा के दौरान मरीजों की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने और आहार-विहार की भी जानकारी दी जाती है. तनाव, अनिद्रा, उक्त रक्तचाप, घबराहट, जोड़ों के दर्द और चर्म रोगों के इलाज में भी यहां रामबाण सफलता मिलती है. प्राकृतिक वातावरण में इलाज पाने वाले लोग जब रोगों से मुक्ति के यहां लाभ पाते हैं, तो उनके आनंद की कोई सीमा नहीं रहती, जिससे वह बरबस इसकी प्रशंसा करते हैं.
सरकारी मदद की नहीं है आवश्यकता
यहां कुछ प्राकृतिक उत्पाद भी तैयार किए जाते हैं, जो लोगों को यहीं से प्राप्त होते हैं. बिक्री के लिए इसका कोई काउंटर नहीं है. मौजूदा समय में कोरोना की महामारी में यहां का बना काढ़ा लोगों को खूब पसंद आया. इस संस्थान के निदेशक विमल कुमार मोदी का कहना है कि वह अपने पिता की संकल्पना को साकार करने में जुटे हैं. यहां आने वाले मरीजों को जब लाभ मिलता है, तो इससे उन्हें और ताकत मिलती है. वे कहते हैं कि संस्थान को चलाने के लिए और आगे बढ़ाने के लिए उन्हें किसी भी प्रकार की सरकारी मदद की आवश्यकता नहीं है. इसके लिए वह खुद के परिश्रम और मरीजों के समर्पण पर ही निर्भर हैं.