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गोरखपुर: गरीब बच्चों को नि:शुल्क पढ़ा रहा यह इंजीनियर

उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में एक बीटेक इंजीनियर युवक कई वर्षों से गरीब बच्चों को निशुल्क पढ़ा रहा है. इस कार्य में उसके 5 अन्य साथियों ने भी सहभागिता की है.

आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों को निःशुल्क शिक्षा.

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Published : Sep 5, 2019, 4:01 PM IST

गोरखपुर: उत्तर प्रदेश में 5 सितंबर को शिक्षक दिवस मनाया जाता है. इस दिन सरकारी स्कूलों में अच्छा कार्य करने वाले शिक्षकों को सम्मानित भी किया जाता है. वहीं गोरखपुर में बी टेक इंजीनियरिंग का एक ऐसा होनहार युवा है जो बिना किसी सम्मान की चाह में पिछले कई वर्षों से समाज के गरीबी बच्चों को निशुल्क पढ़ा रहा है.

आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों को निःशुल्क शिक्षा.

पीपल के पेड़ के नीचे चलती है क्लास-

देश के पूर्व उपराष्ट्रपति, शिक्षाविद डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिन पर शिक्षक दिवस मनाया जाता है. शिक्षा की अलख जगाने में जुटे रजत मिश्रा नाम के इस शिक्षक की क्लास पीपल के पेड़ के नीचे हुमायूंपुर वार्ड के दीनदयाल उपाध्याय पार्क में हर दिन शाम 5:00 बजे से लगती है. इसमें करीब डेढ़ सौ बच्चे पढ़ने आते हैं. ज्ञान और विज्ञान के साथ इन्हें जनरल नॉलेज और अंग्रेजी की भी जानकारी दी जाती है.

बच्चों को शिक्षित करने में जुटा युवा-

रजत मिश्रा गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले परिवारों के सैकड़ों बच्चों को शिक्षित करने में लगे हुए हैं. यह बच्चे भले ही आसपास के प्राथमिक स्कूलों में पढ़ते हैं लेकिन शाम के डेढ़ घंटे यहां क्लास करते हैं. यह होनहार युवा ऐसे बच्चों के मन मस्तिष्क को प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए पूरी कोशिश और जी-जान से जुटा है.

साथियों की सहायता से दे रहे नि:शुल्क शिक्षा-

रजत के इस स्कूल में प्राइमरी से लेकर 12वीं तक के बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा दी जाती है. रजत के साथ उनके इस अभियान में कुल 5 अन्य साथियों की भी सहभागिता है, जो इनको शिक्षा के क्षेत्र में निपुण बनाने में लगे हैं. आज के दौर में इस तरह का अभियान और ऐसा विद्यालय बेहद ही अनुकरणीय है. ऐसे में तब जब शिक्षा का व्यवसायीकरण हो गया है. स्कूलों में मोटी मोटी फीस ली जा रही है. ट्यूशन के लिए भी शिक्षक छात्रों पर दबाव दे रहे हैं. शिक्षक दिवस की असली सफलता अगर कही जाए तो यह होगी कि समाज के ऐसे शिक्षकों को भी मंच पर लाकर सम्मानित किया जाए जो सेवा भाव से ऐसे अभियान को नि:शुल्क चला रहे हैं. अच्छा वेतन और संसाधन के बीच बच्चों को पढ़ाकर सम्मान पाने वाले शिक्षकों की संख्या तो बहुत है.

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बीटेक की पढ़ाई के बाद नौकरी भी किया. लेकिन मन को संतुष्टि नहीं मिल रही थी. साथ ही समाज के गरीब बच्चों के लिए कुछ करने की इच्छा थी. जिसके लिए शिक्षा को ही माध्यम चुना.

-रजत मिश्रा, गरीब बच्चों का गुरु

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