गोरखपुर: वर्ष 2022 में होने जा रहे यूपी विधानसभा चुनाव (UP Assembly Election 2022) को लेकर राजनीतिक पार्टियां जितनी सक्रिय हैं, उतनी ही सक्रियता के साथ जिला निर्वाचन कार्यालय भी काम करता नजर आ रहा है. पार्टियां जहां कई तरह का अपना अभियान चला रही हैं. वहीं, जनवरी माह में चुनावी अधिसूचना जारी होने की उम्मीद के साथ निर्वाचन कार्यालय ने सियासी पार्टियों और नेताओं पर नजर रखने को अपनी रणनीति बनानी शुरू कर दी है. गोरखपुर में इसी रणनीति के तहत निर्वाचन कार्यालय ने 10 टीमों का गठन किया है, जो प्रत्याशियों के चुनावी खर्च और नकद मामले पर नजरदारी रखेंगे. यह 10 टीमें हर विधानसभा स्तर पर काम करेंगी. गोरखपुर में कुल 9 विधानसभा सीटों को देखते हुए कुल 90 टीमों का गठन किया गया है, जो विधानसभा स्तर पर क्रियाशील रहेंगी.
उद्यान निर्वाचन अधिकारी राजेश कुमार सिंह ने बताया कि मतदाता सूची पुनरीक्षण में बेहतर परिणाम लाने में निर्वाचन कार्यालय को सफलता मिली है. अब चुनाव प्रकिया की सफलता के लिए किए जा रहे प्रयासों के रणनीति का यह हिस्सा है. वहीं, हर विधानसभा की गतिविधियों पर सख्त नजरदारी के लिए दस टीमों का गठन करने की योजना को जल्द ही मूर्त रूप दे दिया जाएगा.
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उन्होंने कहा कि हर विधानसभा में तीन-तीन उड़नदस्ता टीमें काम करेंगी, जो स्थायी निगरानी करेंगी. इसके अलावा सहायक व्यय प्रेक्षक, वीडियो निगरानी और लेखा टीम अपना काम करेगी. मीडिया निगरानी के लिए भी टीम बनाई जाएगी. इसके अलावा व्यय निगरानी और नियंत्रण कक्ष बनाया जाएगा. उन्होंने बताया कि 290 सेक्टर और 32 जोनल मजिस्ट्रेट की ड्यूटी चुनाव में लगाई जाएगी. जिनका प्रशिक्षण 2 और 3 जनवरी को होगा. जिले में 2077 मतदान केंद्र और 4126 मतदेय स्थल बने हैं. अब प्रत्येक बूथ पर 1500 की जगह 1200 मतदाता वोट डालेंगे.
उद्यान निर्वाचन अधिकारी ने आगे बताया कि मतदाता सूची के पुनरीक्षण का काम लगभग पूरा हो गया है. जिले में करीब 80 हजार मतदाता बढ़े हैं. एक नवंबर से 5 दिसंबर तक चले मतदाता पुनरीक्षण कार्यक्रम में 34 हजार से ज्यादा महिलाओं ने आवेदन किया था. युवा मतदाताओं का आवेदन 21 हजार से ज्यादा था. इससे गोरखपुर शहर विधानसभा में 11 हजार से ज्यादा मतदाता बढ़े हैं तो बांसगांव विधानसभा में सबसे कम सात हजार तक मतदाता बढ़े हैं.
जिला निर्वाचन कार्यालय ने बनाई ये खास चुनावी रणनीति उन्होंने कहा कि निर्वाचन की प्रक्रिया में मतदाताओं के साथ हर नागरिक की भूमिका महत्वपूर्ण बन जाती है. ऐसे में चुनावी प्रक्रिया में जनता से जुड़े कुछ कार्यों के निपटारे में थोड़ा विलंब भी हो जाता है. लेकिन यह अभियान भी जनता के हित के लिए पांच वर्ष में एक बार आता है.
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