गोरखपुरःप्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath) के उम्मीदों को गोरखपुर का एम्स पलीता लगा रहा है. ऑपरेशन थिएटर समेत अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) में अन्य जो भी जरूरी सुविधाएं और निर्माण कार्य पूर्ण किया जाना था, वह अभी नहीं हो पाया है. जबकि इसके निर्माण को हर हाल में सितंबर माह तक पूर्ण कर लेना था.
माना जा रहा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 18 अक्टूबर को एम्स का लोकार्पण करेंगे, लेकिन यह संभव होता नहीं दिखाई दे रहा है. क्योंकि एम्स प्रबंधन और निर्माण कार्य से जुड़ी हुई संस्था कार्यों को लेकर लापरवाह बनी रहीं. जबकि दो साल पहले लोकसभा चुनाव को देखते हुए यहां की ओपीडी शुरू की गई थी. एम्स के नाम पर दिनों दिन यहां मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है. सुबह से कतार में खड़े होने के बाद भी मरीज इलाज नहीं करा पा रहे हैं. जिससे एम्स की छवि भी धूमिल हो रही है.
एम्स का निर्माण वास्तविक रूप से दिसंबर 2020 में ही पूरा होना था. कोरोना के चलते इसके काम पर कुछ ब्रेक लगा. फिर भी संसाधन की प्रचुर उपलब्धता से इसको 2021 में अप्रैल तक ही पूरा कर लेना था. मुख्यमंत्री ने कई बार यहां की डायरेक्टर डॉ. सुरेखा किशोर के साथ बैठक की और बार-बार आगाह भी किया. फिर भी न तो यहां का प्रबंधन एक्टिव हुआ और न ही निर्माण से जुड़ी हुई संस्था तेज हुईं.
अभी भी यहां पर ओपीडी में मरीज देखे जाते हैं. गंभीर बीमारी का कोई मरीज यहां न तो देखे जाते और न ही भर्ती किए जाते हैं. अभी यहां स्पेशलिस्ट डॉक्टर और सर्जनों की नियुक्ति भी पूरी नहीं हो पाई है. यहां पर 750 बेड का अस्पताल बनना था, जिसमें 300 बेड भी अभी तक पूरा नहीं हो पाया है. सितंबर के पहले सप्ताह में 127 चिकित्सक शिक्षकों का साक्षात्कार भी हुआ है लेकिन अभी उसका परिणाम भी रुका हुआ है. ब्लड बैंक भी यहां नहीं खुल सका है. कहा जाए तो एम्स क्रियाशील तो है लेकिन यहां एक एंबुलेंस भी नहीं है.