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फर्जी दस्तावेजों के सहारे नौकरी कर रहे शिक्षकों पर कार्रवाई जारी, अब तक 88 बर्खास्त - gorakhpur news

गोरखपुर जनपद में फर्जी दस्तावेजों के आधार पर नौकरी करने के मामले में शिक्षा विभाग ने अब तक 108 शिक्षकों के खिलाफ कार्रवाई की है. इनमें से 88 फर्जी शिक्षकों को बर्खास्त कर दिया गया है, जबकि 20 शिक्षकों को निलंबित किया गया है. निलंबित शिक्षकों के खिलाफ विभागीय जांच अभी जारी है.

फर्जी शिक्षकों पर कार्रवाई जारी
फर्जी शिक्षकों पर कार्रवाई जारी

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Published : May 21, 2021, 1:20 PM IST

गोरखपुर: शिक्षा विभाग में फर्जी दस्तावेजों के सहारे नौकरी कर रहे शिक्षकों पर कार्रवाई का सिलसिला जारी है. इस मामले मेंं जनपद में अब तक कुल 108 शिक्षकों के खिलाफ कार्रवाई की गई है. जिसमें से 88 फर्जी शिक्षकों को बर्खास्त कर दिया गया है. जबकि, 20 शिक्षकों को निलंबित किया गया है, इन 20 शिक्षकों के खिलाफ विभागीय जांच अभी चल रही है. उधर, बर्खास्त 88 शिक्षकों में से 73 के खिलाफ शिक्षा विभाग की तरफ से मुकदमा दर्ज कराया गया है.

जानें पूरा मामला
वर्ष 2019 में एसटीएफ की ओर से बेसिक शिक्षा विभाग को कूटरचित दस्तावेजों के सहारे नौकरी कर सरकार को करोड़ों रूपये के राजस्व का चूना लगाने वाले टीचर्स की सूचना दी गयी थी. इस मामले में एसटीएफ ने गोरखपुर जनपद के 73 फर्जी शिक्षकों के खिलाफ कार्रवाई करते हुए, इसकी सूचना विभाग को दी थी. जिसके बाद विभाग ने तत्काल प्रभाव से कार्रवाई करते हुए उन्हें बर्खास्त कर, विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया था. साथ ही विभाग ने कूट रचित दस्तावेजों के सहारे नौकरी कर रहे बर्खास्त शिक्षकों से वेतन की रिकवरी के लिए शासन को पत्र लिखा था. इसके साथ ही स्थानीय स्तर पर इस मामले की जांच संबंधित विकास खंड के खंड शिक्षा अधिकारी को सौंपी गई थी. जांच में बर्खास्त सभी शिक्षकों के दस्तावेज फर्जी पाए गए थे.

20 निलंबित शिक्षकों के खिलाफ जांच जारी
इसके बाद खंड शिक्षा अधिकारियों की जांच में फर्जी दस्तावेजों के सहारे नौकरी करने वाले कुछ और शिक्षकों के नाम भी प्रकाश में आए. जिनके खिलाफ विभाग ने कार्रवाई करना प्रारंभ कर दिया है. हाल ही में विभाग ने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर नौकरी करने वाले चार शिक्षकों को बर्खास्त किया है. पिछले दो वर्षों में विभाग ने जनपद में कुल 88 फर्जी शिक्षकों को बर्खास्त किया है. वहीं जिन 20 शिक्षकों को निलंबित किया गया है, उनके भाग्य का फैसला विभागीय अधिकारियों की जांच रिपोर्ट के आधार पर होगा.

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