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गोरखपुरः वैष्णो देवी की अस्थाई गुफा बनी अकर्षण का केन्द्र

उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले में एक अस्थायी गुफा का निर्माण शारदीय नवरात्र के अवसर पर किया गया है. लाखों रुपये के खर्च से 150 फीट लम्बी और 40 फीट ऊंची गुफा बनाई गई है. इसकी भव्यता क्षेत्र में चर्चा का विषय बनी हुई है.

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Published : Oct 9, 2019, 3:26 PM IST

20 मजदूरों ने दो माह में तैयार किया गुफा.

गोरखपुरःजिले के भटहट अन्तर्गत ग्राम सभा बड़े गांव स्थित मेन चौक पर लाखों रुपयों की लागत से वैष्णो देवी की एक भव्य गुफा शारदी नवरात्र के अवसर पर तैयार की गई है. वहां पर 40 वर्षों से दुर्गा प्रतिमा की स्थापना शारदी नवरात्र में की जाती है. आसपास के दर्जनों गांवों से मां दुर्गा के भक्त वहां जाते हैं और पूजा-अर्चना के साथ अपनी मुरादें मांगतें हैं.

40 वर्षों से की जाती है दुर्गा प्रतिमा स्थापित
जनपद के बड़े गांव मेन चौराहे पर दुर्गा पूजा समिति द्वारा 40 वर्षों से दुर्गा प्रतिमा स्थापित की जाती रही है, लेकिन पिछले 5 वर्ष पहले जब इस समिति की कमान युवाओं के हाथ लगी तब उन्होंने कुछ नया करने की ठान ली और वहां के पंडाल को वैष्णो देवी की गुफा थीम पर उसका रूप देने लगे. इसमें लाखों का खर्च आने पर स्थानीय लोगों ने हाथ बटाना शुरू कर दिया. इस बार की नवरात्र इस समिति के लिए खास है. दो माह पहले से तैयारी चल रही थी.

मजदूरों ने दो माह में तैयार की गुफा.
20 मजदूरों ने दो माह में तैयार की गुफा
श्री श्री दुर्गा पूजा समिति के अध्यक्ष सुनील कुमार मद्धेशिया बताते हैं कि इस गुफा को बनाने की तैयारी पिछले दो माह से चल रही है. 20 मजबूर दो माह से लगातार काम कर रहे थे. इसमें काफी मात्रा में मटेरियल जैसे एक ट्रक बांस, एक हजार धोती (कपड़ा) और लगभग ढाई लाख रुपये खर्च हुआ. गुफा की लम्बाई 150 फीट और ऊंचाई 40 फीट है.
गुफा में वैष्णो देवी से लेकर मां दुर्गा और भैरवनाथ के होते है दर्शन
कारीगरों ने बहुत सीमित संसाधन और अल्प स्थान में बांस और कपड़ा (धोती) के सहारे बहुत ही बारीकियों के साथ गुफा की भव्यता को निखारा है. गुफा में प्रवेश होते ही गंगा का दर्शन होगा. आगे बढ़ने पर मां वैष्णो की चरण पादुका के दर्शन होंगे. सीढ़ियां चढ़ाने के उपरांत मां वैष्णो की स्थापित प्रतिमा दर्शन का आनन्द मिलेगा. इसके ऊपर चढ़ने पर भैरवनाथ के साक्षात दर्शन होंगे. अन्त में आप जहां से गुफा में प्रवेश होना प्रारंभ करते थे ठीक उसके पीछे सीढ़ियों से नीचे उतरने पर मां दुर्गा की स्थापित मूर्ति का दर्शन मिलेगा. जहां पर विधिविधान से पूजा-अर्चना होती है.
नवमी की रात्रि और विजयादशमी के दिन होता है मेले का आयोजन
वैसे तो नवरात्र शुरु होते ही श्रद्धालु अपनी पुरानी परम्परागत तरीके से पूजा-अर्चना शुरू कर देते हैं, लेकिन शारदीय नवरात्र की नवमी की रात्र में विशालकाय मेले का आयोजन किया जाता है, जो विजयादशमी के दिन भर चलता रहता है. नवमी की शाम से ही श्रद्धालुओं का पंडाल में आने का सिलसिला शुरू हो जाता है. इस दौरान देवी दर्शन करने के साथ ही उनकी पूजा-आराधना कर श्रद्धालुओं द्वारा घंट-घड़ियाल बजाते माता का जयकारा लगाने से पूरा महौल भक्ति से सराबोर रहता है.

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