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राजनीति की भेंट चढ़ रहा बीआरडी में बना 500 बेड का बाल रोग चिकित्सा संस्थान - pediatric medical institute

गोरखपुर में इंसेफेलाइटिस से पीड़ित मासूमों के इलाज के लिए प्रदेश की अखिलेश यादव सरकार ने बीआरडी में साल 2012 में 500 बेड के अत्याधुनिक बाल रोग चिकित्सा संस्थान का शिलान्यास किया था. लेकिन, 11 साल में दो बार निर्माण कार्य पूरी करने की समय सीमा बढ़ाने के बावजूद यह चिकित्सीय संस्थान अधूरा है.

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Published : Apr 6, 2023, 11:55 AM IST

बीआरडी में अत्याधुनिक बाल रोग चिकित्सा अधूरे निर्माण को लेकर सपा नेता कीर्ति निधि पांडेय ने साधा निशाना

गोरखपुरः इंसेफेलाइटिस की बीमारी से पूर्वांचल के मासूमों को बचाने के लिए उत्तर प्रदेश की अखिलेश यादव सरकार ने बड़ी पहली की थी. गोरखपुर के बाबा राघवदास मेडिकल कालेज परिसर में सपा की सरकार ने 500 बेड के अत्याधुनिक बाल रोग चिकित्सा संस्थान के बनाए जाने की प्रक्रिया शुरू की गयी थी. इस 14 मंजिला भवन का निर्माण कार्य भी तेजी से चल रहा था, लेकिन वर्ष 2017 में प्रदेश की सरकार बदलने के बाद इसमें कई बदलाव किए गए. प्रदेश की सत्ता में बीजेपी की सरकार आने पर इसे दस मंजिला कर दिया गया. लेकिन सरकार बदलने के 6 वर्ष बाद भी भवन से लेकर इंफ्रास्ट्रक्चर के तमाम कार्य अधूरे हैं. संस्थान में अब तक डॉक्टरों से लेकर नर्स और अन्य स्टाफ की तैनाती भी नहीं हो पाई है.

अब समाजवादी पार्टी के नेता भी इसे लेकर सरकार पर सवाल खड़ा कर रहे हैं. पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने ट्वीट कर योगी सरकार को घेरा है. सूत्रों की मानें तो इसके संचालन में राजनीतिक द्वंद बड़ा मुद्दा बना हुआ है. वहीं, यह भवन कोरोना काल में बढ़ते हुए मरीजों के लिए बड़े शरणदाता के रूप में उपयोग में लाया गया था. 11 वर्षों में दो बार निर्माण पूरी करने की समय सीमा बढ़ाने के बावजूद इस बाल रोग संस्थान की निर्माण अभी अधूरा है. साल 2015 में इस अस्पताल का 10 मंजिलों का ढांचा बनकर तैयार हो गया था, लेकिन अंदर के काम अब भी अधूरे हैं.

बता दें कि साल 2012 में तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने इसका शिलान्यास किया था. इसके निर्माण की जिम्मेदारी राजकीय निर्माण निगम को मिली थी. इसके लिए 252 करोड़ रुपये का बजट भी पास किया गया था. कार्य में रुकावट की वजह से इसका बजट बढ़कर 278 करोड़ हो गया. निर्माण कार्य 2015 में पूरा होना था, जो नहीं हो पाया. साल 2016 में दिसंबर माह के अंतिम सप्ताह में आधे अधूरे निर्माण के बीच ही लखनऊ से इसकी ओपीडी शुरुआत कर दी गई, लेकिन ओपीडी एक दिन भी नहीं चली. फिर इसे वर्ष 2019 में तैयार कर दिया जाना था, लेकिन 2023 में भी इसका काम अधूरा है.

500 बेड के इस बाल रोग संस्थान में एनआईसीयू और पीडियाट्रिक इंसेंटिव केयर यूनिट बनाए जाने हैं. इसमें ऑक्सीजन से लेकर अन्य सुविधाएं दी जानी है. इसके अलावा यहां पर एक छत के नीचे 15 वर्ष तक के बच्चों का इलाज होना है. लेकिन इसकी शुरुआत कबसे होगी ये भविष्य के गर्त में है. हालांकि इस बाल रोग संस्थान के शुरू होने से बच्चों के गंभीर रोगों में इलाज के लिए लोगों को अभी भी लखनऊ और दिल्ली भागना पड़ रहा है. सूत्रों की मानें, तो राजनीतिक द्वंद और श्रेय लेने की होंड़ में इस संस्थान का निर्माण गति नहीं पकड़ रहा, जबकि कई अन्य चिकित्सीय संस्थानों पर गोरखपुर में भारी-भरकम बजट खर्च हुआ है.

बीआरडी के प्रिंसिपल डॉ. गणेश कुमार ने कहा कि बाल रोग संस्थान बनकर तैयार हो गया है. कार्यदाई संस्था ने इसे अभी तक बीआरडी को हैण्ड ओवर नहीं किया है. हैंडोवर से पहले शासन को सुपर स्पेशियलिटी डॉक्टरों की तैनाती के लिए प्रस्ताव भेज दिया गया है. इसके बाद ही यह सुचारू रूप से शुरू हो पाएगा.

वहीं, समाजवादी पार्टी के पूर्व प्रदेश प्रवक्ता कीर्ति निधि पांडेय ने कहा कि शहर में इंसेफेलाइटिस जैसी बीमारी से बच्चों को बचाने और अन्य बीमारियों में बेहतरीन चिकित्सा सुविधा देने के लिए, समाजवादी पार्टी की सरकार के इस प्रोजेक्ट को योगी सरकार में पूरा कर दिया जाना चाहिए था. क्योंकि इंसेफेलाइटिस के खात्मे के लिए वह भी बार-बार दावे करते हैं. इसका पूरा न होना योगी सरकार की नीति पर सवाल खड़ा करता है.

कीर्ति निधि पांडेय ने कहा कि बीआरडी कॉलेज प्रबंधन कहता है कि इंफ्रास्ट्रक्चर और स्टाफ की तैनाती के लिए मुख्यमंत्री से पत्राचार किया जा रहा है. यह बात मजाक ही लगती है. मुख्यमंत्री हर महीने और हर 10 दिन पर शहर में होते हैं, तो मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल को मुख्यमंत्री से मुलाकात करनी चाहिए और यह बात गंभीरता से बतानी चाहिए. यह सिर्फ और सिर्फ पूर्वांचल के लोगों और मासूम बच्चों के जीवन को लेकर मजाक हो रहा है.

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