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औसत से 41 फीसदी अधिक हुई बारिश ने बढ़ाई गोरखपुरवासियों की मुसीबतें

यूपी के गोरखपुर में गांव समेत शहरी क्षेत्र में भी बारिश ने लोगों का जीवन बुरी तरह प्रभावित किया है. कॉलोनियों में पानी भरे होने की वजह से लोगों का घरों से बाहर निकलना मुश्किल हो रहा है. टैंकरों से पानी निकालने की कोशिश की जा रही है, लेकिन लोगों को राहत नहीं मिल पा रही है.

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Published : Aug 30, 2021, 10:09 PM IST

गोरखपुर में भारी बारिश.
गोरखपुर में भारी बारिश.

गोरखपुर: भारी बारिश और पहाड़ी नदियों से बहकर आ रहे पानी ने नदियों का जलस्तर बढ़ा दिया है. शहरी क्षेत्र में भी बारिश ने लोगों का जीवन बुरी तरह प्रभावित किया है. शहर के कई मोहल्ले बारिश के पानी ऐसे घिरे हैं कि जैसे वहां बाढ़ आ गई हो. मेडिकल कॉलेज रोड के किनारे की कॉलोनियां और देवरिया रोड की कॉलोनियां पानी से घिरी हुई हैं. जीडीए ऑफिस की तरफ सरकारी और प्राइवेट कालोनियों में भी पानी भरा हुआ है. टैंकरों से पानी निकालने की कोशिश की जा रही है, लेकिन लोगों को राहत नहीं मिल पा रही है. मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद भी शहर में जो व्यवस्थाएं बनाई गई हैं, वह नाकाफी हैं. करीब 300 पंपिंग सेट शहर में लगाए गए हैं. शहर के 13 रैन बसेरों में नागरिकों को ठहराया गया है.

औसत से 41 फीसदी बारिश का होना भी तबाही का कारण

इस बार सिर्फ अगस्त के मानसून सीजन में 41 फीसदी अधिक बारिश हो चुकी है. 1 जून से 31 अगस्त तक की औसत वर्षा 853.15 मिली मीटर पिछले वर्षों में रिकॉर्ड की गई है, जिसके सापेक्ष इस बार 1211.5 मिलीमीटर बारिश हो चुकी है. सामान्यतः इतनी बारिश पूरे मानसून सीजन यानी कि 1 जून से 31 सितंबर में भी नहीं होती है. यदि बीते 1 जून से 30 अगस्त की बारिश की तुलना करें तो यह औसत से 41 फीसदी है. मानसून सीजन खत्म होने में भी अभी 1 माह का समय बाकी है और बारिश अधिक हो चुकी है. मई में जिले में 357 मिलीमीटर बारिश हुई थी जो औसत वर्षा से करीब 8 गुना अधिक है. जून में औसत के सापेक्ष 36 प्रतिशत, जुलाई में 18 फीसदी अधिक बारिश हुई है. अगस्त के महीने में औसत के सापेक्ष करीब 42 फीसदी से भी अधिक बारिश हुई है. बीते 24 घंटे में जिले में 18.6 मिलीमीटर बारिश हो चुकी है. मौसम विशेषज्ञ कैलाश पांडेय ने पूर्वानुमान जताया है कि हल्की बारिश अभी हो सकती है.

गोरखपुर में भारी बारिश.
राप्ती नदी का बढ़ता जलस्तर बजा रहा खतरे की घंटी

जिले में बाढ़ की स्थिति चिंताजनक होती जा रही है. राप्ती नदी वर्ष 2017 के बाद एक बार फिर से खतरनाक स्तर की ओर बढ़ रही है, जिसके चलते तटबंध पर दबाव बढ़ा है. रविवार की शाम राप्ती नदी का जलस्तर लाल निशान से 1.36 मीटर ऊपर रिकॉर्ड किया गया, जबकि 2020 में यह अधिकतम स्तर 1.05 मीटर था. अब तक 171 गांव बाढ़ की चपेट में हैं, जहां बचाव के लिए 248 नाव लगाने की बात प्रशासन कह रहा है. राप्ती नदी के इतिहास पर गौर करें तो 1998 में इसने भारी तबाही मचाई थी, उस समय अधिकतम जलस्तर 77.54 मीटर दर्ज किया गया था. रोहिणी नदी का जलस्तर लाल निशान से 1.71 मीटर ऊपर पहुंच गया है. मैदानी क्षेत्रों में हुई बारिश से राप्ती नदी के जल स्तर पर कोई खास फर्क नहीं पड़ा था, लेकिन पहाड़ों पर हुई बारिश के कारण नदी में पानी बढ़ रहा है. बाढ़ खंड द्वितीय के अधिशासी अभियंता रूपेश कुमार खरे का कहना है कि पहाड़ों पर हुई बारिश के कारण नदी का जलस्तर बढ़ा है. सभी तटबंधों पर निगरानी बढ़ा दी गई है, जहां रिसाव की आशंका है वहां निपटने के इंतजाम कर लिए गए हैं.

सड़कों पर भरा पानी.

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