गोरखपुर: करीब ढाई साल पहले गोरखपुर के 32 गांव को नगर निगम की सीमा में शामिल करने की योगी सरकार ने घोषणा की थी, लेकिन मौजूदा दौर में भी यह गांव स्थाई तौर पर नगर निगम का हिस्सा नहीं बन सके हैं. लगभग 1 वर्ष पहले ग्राम पंचायतों का कार्यकाल खत्म होने के बाद इन गांवों की जिम्मेदारी नगर निगम के हवाले आ गई थी, लेकिन ग्राम पंचायत और नगर विकास विभाग के बीच नोटिफिकेशन को लेकर लटकी फाइल से यह गांव न तो गांव ही रहे और न ही शहर का हिस्सा बन पाए, जिसकी वजह से यहां की व्यवस्था पूरी तरह बदहाली के दौर से गुजरने लगी.
पंचायत के जरिए न तो कोई विकास कार्य और साफ-सफाई का काम किया जा रहा है और न ही नगर निगम इस ओर विशेष रूप से ध्यान दे रहा था, जिसका नतीजा है कि इन 32 गांवों में अभी भी समस्याएं जस की तस बनी हुई हैं.
इन गांवों के विकास की अब कुछ उम्मीद जगी है. वजह यह कि नए तरीके से हो चुके पंचायत चुनाव और आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए नगर निगम इन गांवों के प्रति विकास योजनाओं की रणनीति बना रहा है. सफाई और सेनेटाइजेशन के लिए इन गांवों को तीन जोन में बांटकर वरिष्ठ अधिकारियों को प्रभारी बनाया गया है. अपर नगर आयुक्त डीके सिन्हा को जोन एक, कर अधीक्षक प्रीतम वर्मा को जोन दो और उप नगर आयुक्त संजय शुक्ला को जोन तीन का प्रभारी बनाया गया है. यह गतिविधियां खासकर कोरोना को देखते हुए बढ़ाई गई हैं. अभी भी विकास, निर्माण, जल निकास के लिए कोई प्लानिंग नहीं हुई है, जिससे हो रही बारिश में नगर निगम का हिस्सा बने इन गांवों में जल जमाव और गंदगी का अंबार लगा है.
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