गोरखपुर: धूम्रपान और वायु प्रदूषण जानलेवा है. बावजूद इसके लोग बचाव को लेकर सतर्क नहीं है. यही वजह है कि पूरी दुनिया में सीओपीडी (क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज) से पीड़ित लोगों की संख्या आज करीब 30 करोड़ पहुंच गई है. बीड़ी, सिगरेट और धूम्रपान जहां लोगों के लिए जानलेवा बनता जा रहा है. वहीं, शहरों में बढ़ता प्रदूषण भी लोगों की सांस की नली और फेफड़ों को गंभीर नुकसान पहुंचा रहा है. शुरुआती दौर की पहचान में तो इस पर काबू पाना संभव है. लेकिन गंभीर होने पर यह लोगों के लिए सांस लेना मुश्किल कर देता है. यह मौत का कारण भी बन रहा है. पूर्वी उत्तर प्रदेश की बात करें तो इसके मरीजों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. यह कहना है गोरखपुर के मशहूर चेस्ट रोग विशेषज्ञ डॉ. नदीम अरशद का.
दरअसल, विश्व सीओपीडी दिवस पर मीडियाकर्मियों से मुखातिब हुए डॉ. नदीम ने लोगों से इस बीमारी से बचने की अपील करते हुए कहा कि पूरी दुनिया में आज 20वां सीओपीडी दिवस मनाया जा रहा है. जिसका उद्देश्य लोगों को लंग्स हेल्थ के बारे में जानकारी देना है और बचाव के उपायों को भी बताना है. डॉ. नदीम ने कहा कि इसके साथ ही खानपान पर भी विशेष ध्यान देने की जरूरत है.
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उन्होंने कहा कि सीओपीडी की बीमारी पर रोक सही समय पर शुरू हुए इलाज से संभव है. इसका मुख्य लक्षण सांस फूलना और खांसी के साथ लगातार बलगम का आना है. सीओपीडी मृत्यु का तीसरा सबसे बड़ा कारण है और यह कम संसाधन वाले देशों में लोगों पर सबसे अधिक असर करता दिखाई देता है. उन्होंने कहा कि यह धूम्रपान करने वालों को ज्यादा प्रभावित करता है और प्रदूषण के संपर्क में आने से उसके कण भी लोगों को प्रभावित करते हैं.
पूरे विश्व में इस बीमारी से होने वाले आर्थिक नुकसान को बचाने के लिए इस अभियान को चलाया जा रहा है. इसके चिकित्सक भी अपने हित से ज्यादा मानवहित पर जोर दे रहे हैं. इसलिए इस बीमारी को रोकने में इसके विशेषज्ञ भी बड़ी संख्या में आगे आए हैं.