गोरखपुर:जिले के करीब 125 गांव मौजूदा समय में बाढ़ की चपेट में है जिसकी वजह से करीब सवा लाख लोग प्रभावित हैं. यहां की अधिकांश नदियां खतरे के निशान से ऊपर बह रही है. वहीं, बाढ़ पीड़ितों को सरकारी मदद के दावे तार-तार दिखाई दे रहे हैं. जबकि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अभी 2 दिन पूर्व ही हवाई सर्वेक्षण करके बाढ़ पीड़ितों के साथ जानवरों को भी भूसा-चारा उपलब्ध कराने का निर्देश दिया था.
आपको जानकर हैरानी होगी कि गोरखपुर में बाढ़ से घिरे गांवों की मूल वजह अधिकारी गंगा नदी को बता रहे हैं. जिले के अपर जिलाधिकारी वित्त एवं राजस्व राजेश कुमार सिंह ने ईटीवी भारत से साफ कहा है कि गोरखपुर की प्रमुख नदी राप्ती, रोहिन, कुवानों और घाघरा खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं. यह एक दूसरे मिलते हुए गंगा नदी में जाकर मिलती हैं. गंगा खुद ही पानी से लबालब भरी हुई है. इस वजह से पानी बैकफ्लो हो रहा है. जिससे जिले के गांव में बाढ़ की स्थिति नजर आ रही है. हालांकि इस दौरान जरूरतमंदों को मदद पहुंचाई जा रही है, लेकिन ईटीवी भारत की ग्राउंड रिपोर्ट में सरकारी दावे मदद के तार-तार नजर आते हैं.
मदद के प्रशासनिक दावे को झूठा बता रहे बाढ़ पीड़ित
मानसूनी बारिश भी इस बार बाढ़ की मुख्य वजह बनी हुई है. महीनों से लगातार काफी तेज बारिश हो रही है. मौजूदा समय में राप्ती नदी 1 मीटर 6 सेंटीमीटर खतरे के निशान से ऊपर बह रही है तो रोहिन नदी भी 69 सेंटीमीटर खतरे के निशान से ऊपर है गोरा नदी भी 45 सेंटीमीटर खतरे के निशान से ऊपर बह रही है. आज भी घनघोर बारिश का अनुमान मौसम विभाग जारी कर रखा है. बाढ़ से घिरे गांव में नाव चल रही है. अपना घर-द्वार,छप्पर सब छोड़कर लोग बंधे पर आकर शरण लिए हुए हैं. नदी अपना रौद्र रूप अख्तियार किए हुए हैं.
पानी पूरी तरह से नदी को फुल को छू जाने के लिए व्याकुल दिखाई दे रहा है. तमाम प्राथमिक स्कूल बाढ़ के पानी में डूबे हुए हैं. बड़हलगंज विकासखंड का तराई क्षेत्र बुरी तरह पानी से घिरा है. इस दौरान ईटीवी की पड़ताल में लोगों ने कहा कि उन्हें सरकारी मदद के नाम पर कुछ भी नहीं मिल रहा है. यहां तक की पीने के लिए शुद्ध पानी भी नहीं है. लोग नदी के पानी से ही स्थान, ध्यान के साथ खाना भी पका रहे हैं. महिलाएं घर परिवार संभाल रही हैं तो बाढ़ पीड़ित पुरूष मजदूरी करके अपना पेट भरने को मजबूर हैं. बड़हलगंज क्षेत्र का बलथर, बीहुआ, जैतपुर, ज्ञानकोल, बगहा, नेतवारपट्टी, लखनौरी, कोटिया, तुर्कवालिया डूबे पड़े हैं तो सहजनवा तहसील क्षेत्र में पाली ब्लॉक में मॉडर और महाराबारी गांव का संपर्क मुख्यमार्ग से कट गया है.
राप्ती नदी सहजनवा के डुमरिया बाबू बांध के सिसई सुरगहना और टिकरिया के पास तेजी से कटान कर रही है. पिपरौली ब्लॉक के दर्जनभर गांव में राप्ती और आमी नदी कहर बरपा रही है. उत्तरी कोलिया मैरुण्ड होने से गांव के लोग बोकटा- बरवार बांध पर शरण ले रखे हैं. यह हाल बाढ़ पीड़ित गांव का है तो इससे कम बुरी दशा शहर क्षेत्र में भी लोग नहीं है. जहां घनघोर बारिश लोगों के जीवन को बुरी तरह प्रभावित कर चुकी है. शहर के अधिकांश मोहल्ले में घुटने से लेकर कमर तक पानी भरा हुआ है. लोग अपनी दिनचर्या में शामिल बड़ी कठिनाई से हो रहे हैं. स्कूल खुलने के बाद भी बच्चों की स्कूलों में उपस्थिति नहीं हो पा रही. बाढ़ बचाव में कुल 86 बाढ़ चौकियां इस समय सक्रिय हैं और जिला प्रशासन 155 नाव के संचालित करने की बात कर रहा है. 9 मेडिकल टीम में भ्रमण कर रही हैं. जिनके द्वारा लोगों को स्वास्थ्य सुविधा दी जा रही है. 40 पशु शिविरों भी लगाए जाने की बात प्रशासन कर रहा है और लगभग 3790 राहत खाद्यान्न किट वितरित किया गया है.
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