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बिचौलियों से परेशान, गोंडा के किसान - कन्नौज न्यूज

गोंडा में किसान बड़े पैमाने पर खेती करते हैं लेकिन फसल को बेचने के लिए बिचौलियों की मदद लेनी पड़ती है. किसान सीधे व्यापारी को अपनी फसल नहीं बेच सकते हैं. उनकी मांग है कि ऐसा कोई प्लेटफॉर्म मिले, जिस पर वह सीधे खरीददार के पास अपने उत्पाद को पहुंचा सकें ताकि ज्यादा से ज्यादा मुनाफा हो.

केले की खेती

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Published : Mar 28, 2019, 7:35 PM IST

गोंडा: केंद्र और प्रदेश सरकार किसानों की आय को दोगुना करने के लिए कितने ही वादे क्यों न कर ले, लेकिन जमीनी हकीकत इससे काफी अलग है. प्रदेश के ज्यादातर किसान बिचौलियों से परेशान हैं. उनका कहना है कि बिचौलियों के चक्कर में दोगुनी आय तो दूर, फसलों की लागत तक नहीं निकल पा रही है.

जानिए क्या बोले गोंडा के किसान

गोंडा में कई किसान ऐसे हैं, जो बड़े पैमाने पर खेती करते हैं. वह चाहे शिमला मिर्च की हो या केले की. उन्हें खेती में सफलता भी मिली है लेकिन कहीं न कहीं बिचौलियों की नजर भी लगी रहती है. वहीं अधिकारी मामले को लेकर कदम उठाने के बजाय अपना पल्ला झाड़ते नजर आते हैं.

गोंडा में कई युवा किसान यहां शिमला मिर्च और केले जैसी तमाम फसलों की खेतियां कर रहे हैं. युवा लोगों का किसानी की तरफ आगे बढ़ना, ये एक सुखद पहल है लेकिन अगर सरकार और प्रशासन का साथ न हो, तो ऐसे में युवा किसानों का हतोत्साहित होना स्वाभाविक है. यहां के युवा किसान वैभव पांडे शिमला मिर्च की खेती कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि हमने 1 एकड़ में शिमला मिर्च की खेती की है. इसमें हमारी लागत अभी तक 80 हजार रुपये तक की आई है. इसको तुड़वा कर जब मंडी में भेजते हैं, तो वहां पर जो कमीशन एजेंट होते हैं, उन्हीं के माध्यम से कमीशन पर बिक्री की जाती है. दिक्कत यह है कि किसान सीधे व्यापारी को नहीं बेच सकता है. अगर ऐसा कोई प्लेटफॉर्म मिले, जिस पर हम सीधे खरीददार के पास अपने उत्पाद को पहुंचा सकें तो इससे किसानों को ज्यादा प्रॉफिट होगा.

शिमला मिर्च का खेत

झंझरी ब्लॉक विकासखंड के अंतर्गत गढ़वा घाट के पास केले की खेती कर रहे निजामुद्दीन का कहना है कि हम केले की खेती करते हैं. इसी में बीच-बीच में टमाटर और मिर्ची की भी खेती कर लेते हैं. 12 हेक्टेयर में खेती करने वाले निजामुद्दीन बताते हैं कि बेचने के लिए बिचौलियों के माध्यम से बिक्री करना पड़ता है.

केले की खेती

इस पूरे मामले पर उपनिदेशक उद्यान से बात की तो उन्होंने बताया कि स्थानीय मंडी में इसकी आवश्यकता कम है. अपनी जिम्मेदारियों से पल्ला झाड़ते हुए कहा कि लखनऊ, गोरखपुर, नेपाल की मंडी नजदीक है तो किसानों को मेहनत करनी होगी कि वो बाहर की मंडी जाएं. बिचौलियों के सवाल पर कहा कि भारत सरकार की एपीडा (कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण) के माध्यम से उत्पाद की ऑनलाइन डिमांड होगी और ऑनलाइन ही मार्केटिंग हो जाएगी. अप्रैल से इसका रजिस्ट्रेशन शुरू होगा, जिसमें स्थानीय किसानों को बाहर के बाजार से जोड़ दिया जाएगा.

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