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protest in Gonda: गोंडा में प्रधानों का प्रदर्शन, कायाकल्प के नाम पर प्रशासन खर्च करवा रहा विकास कार्यो के लिए आया बजट

गोंडा में स्वच्छता भारत अभियान के तहत स्वच्छता सर्वेक्षण ग्रामीण 2023 का आयोजन किया गया. कार्यक्रम में बेहतर काम करने वाले प्रधानों को सम्मानित किया गया. इस दौरान प्रशासन पर आरोप लगाते हुए प्रधानों कार्यक्रम का बहिष्कार कर दिया.

protest in Gonda
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Published : Jan 28, 2023, 10:33 PM IST

गोंडाः जिले में शनिवार को स्वच्छ भारत अभियान के तहत स्वच्छता सर्वेक्षण ग्रामीण 2023 जनपद स्तरीय कार्यशाला का प्रधानों ने बहिष्कार किया. हंगामा कर रहे प्रधानों का आरोप है कि प्रशासन के अधिकारी दबाव बना कर कायाकल्प के नाम पर विकास कार्यो के लिए आए बजट को खर्च करवा रहे हैं. इससे हम लोग अपने क्षेत्र में विकास कार्य नहीं करवा पा रहे है. विरोध प्रदर्शन के चलते कार्यशाला को बीच में ही रोक पड़ा. हंगामे की सूचना पर पहुंची पुलिस ने अक्रोशित प्रधानों को शांत कराया. अधिकारी कार्यक्रम को बीच में ही छोड़ कर चले गए.

घटना का जानकारी देते ग्राम प्रधान

ये है पूरा मामला:मुख्यालय पर स्वच्छ भारत अभियान तहत स्वक्षता सर्वक्षण ग्रामीण 2023 जनपद स्तरीय उन्मुखीकरण कार्यशाला आयोजित किया गया. इसमें कायाकल्प में सराहनीय कार्य करने वाले प्रधानों को सम्मानित किया गया. इस सम्मान समारोह का जिले भर से सैकड़ों की संख्या में प्रधान जुटे थे. इसके बाद अक्रोशित प्रधानों ने बहिष्कार कर प्रशासन के विरोध में नारे लगाने शुरू कर दिए. इसके चलते प्रशासन को बीच मे ही कार्यक्रम समाप्त करना पड़ा. अक्रोशित प्रधानों की मांग थी, की ग्राम सभा के विकास के लिए जो बजट सरकार भेज रहा है. उस सारे बजट को प्रशासन द्वारा कायाकल्प में लगा दिया जा रहा है.

मनरेगा से कोई कार्य नहीं कराया जा रहा है. मनरेगा का जो भी कार्य होता है. उसे सीधे अंगूठा लगाया जाता है. इसके बावजूद एमबी कराने का कोई उचित नहीं है. इसके चलते ग्राम प्रधानों का मानदेय निकलना भी मुश्किल हो रहा है. डीडीओ दिनकर विधार्थी ने कहा कि ग्राम प्रधानों द्वारा पहले से ही कोई बातचीत नहीं की गई, ना ही कोई मांग रखी गई. शनिवार को जब कार्यक्रम संपन्न होने लगा तब प्रधानों ने अचानक विरोध करके बहिष्कार कर दिया. यह कार्यक्रम जो अच्छे प्रधान हैं या अच्छा कार्य किया है. उनके अच्छे कार्यों को देखते हुए उनको सम्मानित करने का था. डीडीओ का कहना है कि हमें लगता है कि जिन प्रधानों को सम्मानित नहीं किया गया है. उनके कार्य अच्छे नहीं थे. उन लोगों द्वारा बहिष्कार किया गया है और नारेबाजी की गई है.

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