गोण्डा: जिले में विकास कार्यों में शिथिलता बरतने वाली कार्यदायी संस्थाएं जिलाधिकारी मार्कण्डेय शाही के निशाने पर आ गई हैं. यही नहीं मुख्यमंत्री की घोषणा के बाद निर्माण कार्यों में लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों पर जिलाधिकारी ने कार्रवाई शुरू कर दी है.
बता दें कि कलेक्ट्रेट सभागार में जिलाधिकारी की अध्यक्षता में विकास व निर्माण कार्यों की मासिक समीक्षा बैठक आयोजित की गई थी. बैठक में विकासखण्ड करनैलगंज में राजकीय इंटर कॉलेज के निर्माण कार्य के लिए अगस्त महीने में भूमि उपलब्ध होने के बाद भी कार्यदायी संस्था राजकीय निर्माण निगम द्वारा शासन को डीपीआर न भेजने पर जेई राजकीय निर्माण निगम और भूमि उपलब्ध हो जाने की सूचना संबंधित कार्यदायी संस्था को न देने पर जिला विद्यालय निरीक्षक को प्रतिकूल प्रविष्टि दी गई. इसके साथ ही निर्माण कार्य की प्रगति की झूठी सूचना देने पर एक्सईएन व जेई राजकीय निर्माण निगम को नोटिस जारी करने के आदेश दिए गए.
समीक्षा बैठक में डीएम ने सख्त निर्देश दिए कि निर्माण कार्यों की गुणवत्ता की जांच जनपद स्तरीय टास्क फोर्स से कराई जाए. प्रत्येक दूसरे दिन टास्क फोर्स की बैठक उनकी अध्यक्षता में कराई जाए. उन्होंने हर दूसरे दिन निर्माण कार्यों की समीक्षा स्वयं किए जाने के निर्देश देते हुए जिला अर्थ एवं संख्याधिकारी को आदेश दिए हैं कि वे टास्क फोर्स के सदस्यों के लिए वाहन और गुणवत्ता का सत्यापन किए जाने वाले कार्यों की सूची एवं सैम्पलिंग किट आदि उपलब्ध कराएंगे.
साथ ही सत्यापन रिपोर्ट आने पर उसका शत-प्रतिशत अनुपालन सुनिश्चित कराते हुए उन्हें रिपोर्ट देंगे. उन्होंने स्पष्ट किया कि निर्माण कार्यों की गुणवत्ता में कमी मिलने पर कार्यदायी संस्था के साथ-साथ संबंधित विभाग के जनपद स्तरीय अधिकारी के खिलाफ विभागीय कार्रवाई के साथ एफआईआर भी दर्ज कराई जाएगी. उन्होंने कहा कि गुणवत्ता से समौझाता नहीं किया जाएगा बल्कि कमी मिलने पर विभागीय अधिकारी की भी सीधे मिली भगत मानते हुए जिम्मेदारी उनके द्वारा निर्धारित की जाएगी.
उन्होंने कहा कि सभी अधिकारी अपने-अपने विभागों के अन्तर्गत हो रहे निर्माण कार्यों की गुणवत्ता सुनिश्चित कराएं. जिलाधिकारी ने ऐसी सभी कार्यदायी संस्थाओं जिन्हें निर्माण कार्य के लिए बजट प्राप्त हो चुका है, उन्हें सख्त निर्देश दिए हैं कि वे लिखित रूप से कार्य पूर्ण होने की एक टाइम लाइन बताएं और जिन्हें धन प्राप्त नहीं हुआ है, वे डीएम के माध्यम से बजट उपलब्ध कराने के लिए शासन को पत्र भेजवाएं.