GPF के नाम पर धन गबन करने वाले गिरोह का भंडाफोड़, 5 आरोपी गिरफ्तार - गोंडा खबर
यूपी के गोंडा जिले में सरकारी कर्मचारियों की कूट रचित पहचान पत्र बनाकर जीपीएफ के नाम पर धन गबन करने वाले गिरोह का पुलिस ने भंडाफोड़ किया है. तीन सरकारी कर्मचारी सहित पांच लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार किया है. आरोपियों का पुलिस ने 26 लाख 75 हजार रुपए नकद व 1 करोड़ 32 लाख रुपए खातों में फ्रिज कर दिया. पुलिस ने चकबंदी विभाग के 25 कर्मचारियों की फर्जी आईडी, दो लैपटॉप, चार मोबाइल व टैबलेट बरामद किया है.
गोंडा : जिला पुलिस ने एक फर्जीवाड़ा गैंग का खुलासा किया है. इस गैंग में सरकारी कर्मचारी भी शामिल थे. ये लोग सरकारी कर्मचारियों की कूट रचित पहचान पत्र बनाकर जीपीएफ के नाम पर धन का गबन करने का काम करते थे. तीन सरकारी कर्मचारी सहित पांच लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार किया है. आरोपियों का पुलिस ने 26 लाख 75 हजार रुपए नकद व 1 करोड़ 32 लाख रुपए खातों में फ्रिज कर दिया. पुलिस ने चकबंदी विभाग के 25 कर्मचारियों की फर्जी आईडी, दो लैपटॉप, चार मोबाइल व टैबलेट बरामद किया है.
आईजी राकेश सिंह ने किया खुलासा
आईजी राकेश सिंह व पुलिस अधीक्षक शैलेश कुमार पांडे ने संयुक्त रूप से खुलासा करते हुए बताया कि उन्हें गोपनीय सूचना मिली थी कि जनपद के नवाबगंज थाना क्षेत्र के भारतीय स्टेट बैंक खाता धारकों के खातों में धनराशि आ रही है. जिसमें नवाबगंज क्षेत्र के ग्राहक सेवा केंद्र के संचालक की मिली भगत है. इस सूचना के आधार पर एसओजी टीम ने पड़ताल शुरू की. मामले की पुष्टि होने के बाद थाने में मुकदमा पंजीकृत कर जांच शुरू कर दी गई. जांच के दौरान चकबंदी विभाग गोरखपुर में तैनात अरुण वर्मा पुत्र मोहनलाल वर्मा भरवालिया बुजुर्ग आजाद नगर थाना रामगढ़ ताल , जनपद गोरखपुर बस्ती के हरैया तहसील में तैनात लेखपाल राजेश पाठक पटखौली थाना क्षेत्र नवाबगंज गोंडा, स्टेट बैंक के ग्राहक सेवा केंद्र संचालक नानमुन मौर्य वजीरगंज स्टेट बैंक के लाइफ इंश्योरेंस एजेंट अरुण श्रीवास्तव इमलिया गुरुदयाल कोतवाली नगर गोंडा तथा प्रदीप दुबे परसदा तरबगंज को गिरफ्तार कर पुलिस कार्रवाई में जुट गई है.
10 सालों से कर रहे थे फर्जीवाड़ा
पुलिस के अनुसार, पिछले 10 बरसों से सरकारी कर्मचारी सरकारी पैसों का गलत तरीके से गबन कर रहे थे. जिसके अकाउंट में पैसे आए हैं, उनको भी चिन्हित किया जा रहा है. चकबंदी विभाग में लेखाकार के पद पर कार्यरत अरुण वर्मा व लेखपाल राजेश पाठक ने मिलकर सरकारी खजाने में सेंध लगा दी थी. अभी तक की जांच के अनुसार इन्होंने 3 सालों में 45 लोगों के अकाउंट में 6 करोड़ रुपया भेजे हैं. अब पुलिस टीम पांच आरोपियों को गिरफ्तार कर विधिक कार्रवाई में जुटी हुई है.