गोण्डा: राजनीतिक दखलअंदाजी व अफसरों की बेरुखी से जिले के 149 गांवों को पंचायत का दर्जा नहीं मिल सका. पिछले पंचायत चुनाव के दौरान शासन की ओर से जिले में बड़ी ग्राम पंचायतों को तोड़कर नई ग्राम पंचायतों के पुनर्गठन के प्रस्ताव मांगे गये थे. वर्ष 2014-15 में शासन के निर्देश पर बड़ी ग्राम पंचायतों के कुछ भाग को काटकर नई पंचायतों के गठन का प्रस्ताव तैयार किया गया था. परंतु यह प्रस्ताव अफसरों व राजनेताओं के रार की भेंट चढ़ गया. 25 दिसंबर 2020 को पंचायतों का कार्यकाल पूरा हो रहा है. वहीं परिसीमन व नए ग्राम पंचायतों के गठन को लेकर गांव में चर्चा जोरों पर है.
प्रत्याशियों के चेहरे पर है मायूसी
वर्ष 2014-15 में पंचायत चुनाव के पूर्व परिसीमन की प्रकिया शुरू हुई. इसके पीछे परिकल्पना थी कि बड़ी ग्राम पंचायतें होने के कारण उनका समुचित विकास नहीं हो पाता है. ऐसे में छोटी ग्राम पंचायतों का गठन कर उनका समुचित विकास किया जाएगा. पिछले चुनाव में प्रकाशन प्रक्रिया में देरी होने से परिसीमन पर रोक लगा दी गई थी. चुनाव पुरानी व्यवस्था पर कराया गया था, जिससे इन गांव में पंचायत चुनाव लड़ने का ताल ठोक रहे प्रत्याशियों के चेहरे पर मायूसी छा गई. फिर भी पंचायतों में चुनाव को लेकर संभावित प्रत्याशियों द्वारा तैयारियां शुरू कर दी गई हैं.