गोंडा:जनपद में उपजाऊ मिट्टी होने के कारण यहां कृषि की प्रधानता है. साथ ही यहां कई किसान खेती कर बेहतर मुनाफा भी कमा रहे हैं. इसी क्रम में शाहजहांपुर जनपद के मूल निवासी शफीक और उनका परिवार यहां पेशगी पर जमीन लेकर लगभग 150 बीघे में खेती कर रहा है.
शाहजहांपुर के किसान गोंडा जिले में कृषि कर बन रहे किसानों के लिए मिसाल. लगभग 150 बीघे में सब्जियों का उत्पादन
जिले का जगदीशपुर विसेन गांव, जहां जनपद शाहजहांपुर के किसान अन्य जनपदों में जाकर खेती कर रहे हैं. जिले में शफीक और उनके परिवारीजन करीब 150 बीघे में सब्जियों की खेती कर रहे हैं, जिसमें लौकी, करेला, मिर्चा, खीरा इत्यादि शामिल हैं. यह खेती वह पेशगी पर करते हैं. पेशगी अर्थात वह भूमि, जो एक निश्चित रुपये देकर एक निश्चित समय के लिए ले ली जाती है. वह गोण्डा के साथ ही बलरामपुर, बाराबंकी और मध्य प्रदेश इत्यादि में भी खेती करते हैं.
किसान ने घाटे और मुनाफे के बारे में भी बताया
उन्होंने बताया कि इस पूरी खेती को करने में उन्हें लगभग 20 से 25 लाख तक की लागत पड़ जाती है. मुनाफे के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि यह कोई निश्चित नहीं है. अगर सब कुछ ठीक रहता है तो 2 से 3 लाख रुपये का मुनाफा हो जाता है. उनका कहना है कि पिछले वर्ष ठंड की वजह से उनकी काफी सब्जियों को नुकसान पहुंचा, जिसके कारण उन्हें घाटे का भी सामना करना पड़ा.
ड्रिप इर्रिगेशन से हो रही खेती
अभी काफी किसान फ्लड इर्रिगेशन पद्धति में ही उलझे हुए हैं, लेकिन ये किसान ड्रिप इर्रिगेशन द्वारा खेती कर रहे हैं. वहीं ठंड से बचाव के लिए सब्जियों के ऊपर प्लास्टिक बिछाते हैं, जिससे उनकी सब्जियां किसी रोग या पाले की शिकार न हो पाएं. समस्याओं पर बात करते हुए उन्होंने बताया कि सरकार की तरफ से उनको कोई लाभ नहीं मिल रहा है. साथ ही मंडी में कमीशन की दिक्कतों का भी सामना करना पड़ रहा है.
सब्जी की खेती करते हैं, लेकिन कभी-कभी ठंड पड़ने से नुकसान हो जाता है. सब्जी की खेती में बहुत ज्यादा लागत आती है. लागत कम से कम 50 बीघा में 8 से 10 लाख आ जाती है. हम यहां पर हर प्रकार की सब्जी की खेती करते हैं. सब्जी की खेती हम ड्रिप इर्रिगेशन से करते हैं. ठंड से बचाव के लिए सब्जियों के ऊपर प्लास्टिक बिछाते हैं. पिछले साल हम लोगों का बहुत ज्यादा नुकसान हुआ था. खेती के लिए गोंडा में कमीशन भी लिया जाता है.
- राजू, युवा किसान