गोंडा: गांव की गलियों तक अपनी पहुंच बनाने वाला भारत संचार निगम लिमिटेड इन दिनों बदहाल हो गया है. जिन संसाधनों के बलबूते बीएसएनल अभी तक लोगों को अपनी सेवाएं दे रहा था. तकनीक अपग्रेड न होने के कारण वही संसाधन अब उसे नुकसान पहुंचा रहे हैं.
जिले भर के विभिन्न कस्बों में भारत संचार निगम लिमिटेड ने करीब 40 एक्सचेंज स्थापित किए थे. पुराने ढर्रे पर चल रहे बीएसएनएल उपभोक्ताओं की सेवा पर खरा न उतरने के कारण धीरे-धीरे उपभोक्ताओं का मोह बीएसएनल से भंग हो गया. इसके बाद विभाग ने अपने छह एक्सचेंज बंद कर दिए हैं. कुछ और एक्सचेंज बंद करने की सूची में शामिल हो चुके हैं. जल्द ही विभाग उन्हें भी बंद कर देगा.
जिले के बीएसएनएल एक्सचेंज विभाग के लिए ही सरदर्द बन गए हैं. प्रतिमाह यह एक्सचेंज विभाग को लाखों रुपये का चूना लगा रहे थे, जिससे विभाग ने घाटे में चल रहे एक्सचेंज को अब बंद करने का फैसला किया है. इसी क्रम में 6 एक्सचेंज बंद कर दिए गए हैं. मोबाइल के बढ़ते उपयोग से एक्सचेंज के माध्यम से दिए गए लैंडलाइन कनेक्शन को एक-एक कर उपभोक्ताओं ने बंद कर दिया. इससे धीरे-धीरे इन एक्सचेंज की आय पूरी तरह से खत्म हो गई. विभागीय लोग बताते हैं एक माह में एक एक्सचेंज पर करीब 20 हजार का खर्च आता था, ऐसे में जिन उपकेंद्रों को बंद किया गया है, उनमें शिवदयाल गंज कटरा, छपिया, मुंडेरवा माफी, हथियागढ़, सालपुर व मछली गांव, एक्सचेंज शामिल हैं. इन क्षेत्रों में पड़ने वाले सरकारी कार्यालय के भी टेलीफोन ठप हो गए हैं.