गोंडा:जिले में बेसिक शिक्षा विभाग की बड़ी लापरवाही सामने आई है. बेसिक शिक्षा विभाग परिषदीय स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को किताब उपलब्ध कराने का दावा कर रहा है. लेकिन, यह दावा महज कागजों में ही सीमित रह गया है. किताबें ब्लॉक संसाधन केंद्र पर डंप पड़ी हैं और अफसर बच्चों को किताब पहुंचाने का दावा कर अपनी पीठ थपथपा रहे हैं. नवाबगंज, इटियाथोक और बेलसर के बाद अब झंझरी ब्लॉक में भी हजारों किताबें रखी हुई हैं (books found dumped in Jhanjhari).
ये है पूरा मामला:जिले के 2611 परिषदीय स्कूल, 17 कस्तूरबा गांधी स्कूल व 28 सहायता प्राप्त स्कूलों में करीब 4 लाख बच्चे पंजीकृत हैं. सत्र के शुरुआत में ही इन बच्चों को किताब उपलब्ध कराने का नियम है. लेकिन, किताबों की टेंडर प्रक्रिया और फिर छपाई में देरी के चलते इन्हें 4 महीने तक किताबें उपलब्ध नहीं हो पायी.
सितंबर के शुरुआत में आपूर्ति शुरू हुई, तो उम्मीद जगी कि आधे सत्र के पहले बच्चों को किताबें मुहैया करा दी जायेगी. शासन स्तर से किताबें आवंटित होने के बाद जिले स्तर से इसकी बंडलिंग करा कर ब्लॉक संसाधन केंद्रों पर भेज भी दी गई. इसके बाद स्कूलों तक किताबें पहुंचाने की जिम्मेदारी खंड शिक्षा अधिकारियों को सौंपी गई. लेकिन अफसरों की लापरवाही के चलते यह किताबें ब्लॉक संसाधन केंद्र पर पहुंचकर केवल डंप बनकर रह गई. खंड शिक्षा अधिकारियों की लापरवाही के चलते किताबें स्कूलों तक नहीं पहुंचीं.
80% किताबें वितरित करने का दावाःशासन स्तर से जब स्कूलों में किताबों के वितरण की रिपोर्ट मांगी गई, तो जमीनी हकीकत के बजाय जिम्मेदार अफसरों ने 80% से अधिक किताबों के वितरण होने की रिपोर्ट भेज दी. लेकिन अब सामने रहा है कि किताबें ब्लॉक संसाधन केंद्रों पर रखी हुई हैं. शैक्षिक सत्र के 6 माह बीत जाने के बावजूद बच्चे बिना किताबों के ककहरा सीख रहे हैं.