गाजीपुर: मामला जिला मुख्यालय स्थित सैनिक कैंटीन से जुड़ा है. जहां कैंटीन को 1 सितंबर से बंद करने का फरमान चस्पा कर दिया गया है. कैंटीन बंद करने के निर्णय पर सैनिकों के परिजनों ने नाराजगी जाहिर की है. वहीं इस मामले में गाजीपुर समेत वाराणसी क्षेत्र का कोई भी सैन्य अधिकारी बोलने को तैयार नहीं है.
एक सितंबर से बंद हो जायेगी मिलिट्री कैंटीन.
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सैनिक कैंटीन को बंद करने का फरमान किया गया चस्पा-
गाजीपुर में भारतीय सैनिकों की लंबी फेहरिस्त है. एशिया का सबसे बड़ा गहमर गांव जिसे फौजियों का गांव भी कहा जाता है. अब्दुल हमीद जैसे वीर सपूतों को इस धरती ने दिया. बावजूद इसके जिला मुख्यालय स्थित सैनिक कैंटीन को 1 सितंबर से बंद करने का फरमान चस्पा कर दिया गया है. इस मामले में गाजीपुर समेत वाराणसी क्षेत्र का भी कोई सैन्य अधिकारी बोलने को तैयार नहीं है.
सैनिक परिवारों को सता रही चिंता-
गाजीपुर के आस पास के गांवो में रहने वाले सभी सैनिक परिवार इस कैंटीन से समान खरीदते हैं. इस कैंटीन में ज्यादातर सामान उपलब्ध हो जाते हैं. कई सैनिक, पूर्व सैनिकों और शहीदों के परिवार हैं जिनमें ज्यादातर महिलाएं है. उन्हें इस बात की चिंता सता रही है कि अब उन्हें सामान खरीदने के लिए बच्चों को साथ लेकर अकेले गाजीपुर से तकरीबन 80 किलोमीटर दूर वाराणसी का सफर तय करना पड़ेगा.
सैनिकों के परिजनों ने जताई नाराजगी-
जिले में सेना के जवानों की संख्या बहुत ज्यादा है. सरकार सैनिकों के परिवार को हर सुविधा देने का दावा करती है लेकिन गाजीपुर में यह दावे महज दावे ही नजर आ रहे हैं. कैंटीन बंद करने की सूचना लिखा बोर्ड कैंटीन के बाहर लटका दिया गया है. कैंटीन बंद करने के निर्णय पर सैनिकों के परिवारीजनों ने नाराजगी जाहिर की है.